लगभग 20 साल पहले हिंद महासागर के द्वीपों में तबाही मचाने वाला चिकनगुनिया वायरस एक बार फिर लौट आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि यह वायरस एशिया से लेकर यूरोप तक महामारी का रूप ले सकता है। इस साल जनवरी से जुलाई 2025 तक दुनियाभर में 2.4 लाख मामले और 90 मौतें दर्ज की गई हैं।
यह वायरस ला रीयूनियन, मायोट, और मॉरीशस जैसे द्वीपों से शुरू होकर अफ्रीका के मैडागास्कर, सोमालिया, और केन्या तक पहुंच चुका है। चीन के गुआंगडोंग प्रांत में जून 2025 से अब तक 7,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें फोशान शहर सबसे ज्यादा प्रभावित है। भारत में भी बरसात के मौसम में चिकनगुनिया के मामले हर साल बढ़ते हैं।
चिकनगुनिया का प्रसार और प्रभाव
चिकनगुनिया एक मच्छर जनित वायरस है, जो एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है। ये मच्छर दिन में सक्रिय रहते हैं और बरसात के मौसम में ज्यादा पनपते हैं। यह वायरस पहली बार 1952 में तंजानिया में पाया गया था। WHO के अनुसार, 5.6 अरब लोग इस वायरस के खतरे में हैं।
यूरोप में भी मामले बढ़ रहे हैं, खासकर फ्रांस में, जहां मई 2025 से 800 से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जिनमें 30 स्थानीय मामले शामिल हैं। इटली में भी एक मामला सामने आया है। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक यात्रा ने इस वायरस को यूरोप जैसे ठंडे क्षेत्रों में फैलने में मदद की है। भारत में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सावधानी जरूरी है।
लक्षण और इलाज की चुनौतियां
चिकनगुनिया के लक्षण मच्छर के काटने के 4-8 दिन बाद दिखते हैं। मरीजों को तेज बुखार, जोड़ों में असहनीय दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षण होते हैं। कुछ मामलों में आंखों में जलन और उल्टी भी हो सकती है। जोड़ों का दर्द हफ्तों या महीनों तक रह सकता है, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बीमारी का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है। बुखार के लिए पैरासिटामोल और दर्द के लिए पेनकिलर दिए जाते हैं। मरीजों को आराम करने और खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है। फिजिकल थैरेपी जोड़ों के दर्द में राहत दे सकती है।
रोकथाम और वैक्सीन की स्थिति
चिकनगुनिया से बचने का सबसे अच्छा तरीका मच्छरों से बचाव है। फुल स्लीव कपड़े पहनें, मच्छरदानी का उपयोग करें, और घर के आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छर भगाने वाली क्रीम और जालीदार खिड़कियां भी मददगार हैं। WHO के मुताबिक, अभी कोई स्वीकृत वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, हालांकि कुछ वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में हैं।
चीन में इस वायरस को रोकने के लिए बड़े ‘एलीफेंट मच्छर’ छोड़े जा रहे हैं, जो छोटे मच्छरों को खाते हैं। गुआंगडोंग में लोगों को घरों से जमा पानी हटाने का आदेश दिया गया है, और न मानने पर 10,000 युआन (लगभग 1.4 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया जा सकता है। भारत में भी बरसात के मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
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