डॉक्टर नहीं, इलाज नहीं… बखारी स्वास्थ्य केन्द्र बन गया सिर्फ़ नाम का अस्पताल

Rashtrabaan

    सिवनी, राष्ट्रबाण। जिले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम यह है कि बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं तक लोगों को नहीं मिल पा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (PHC) बखारी इसका ताजा उदाहरण है, जहां लंबे समय से न तो डॉक्टर पदस्थ हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ। नतीजतन मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को उठानी पड़ रही है, जिन्हें अक्सर लंबी दूरी तय कर जिला अस्पताल जाना पड़ता है।

    गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

    ग्रामीणों ने बताया कि बखारी स्वास्थ्य केन्द्र में दो वर्ष पहले डिलीवरी की सुविधा बंद कर दी गई थी। इसके चलते गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल या आसपास के कस्बाई स्वास्थ्य केन्द्रों का रुख करना पड़ता है। हाल ही में ग्राम रामगढ़ ढाना की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान यहां लाया गया था, लेकिन महिला चिकित्सक न होने के कारण उसे छपारा ले जाया गया। रास्ते में ही प्रसव हो गया। गनीमत रही कि मां और बच्चे की जान बच गई। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

    पहले प्रतिमाह होती थीं 20 से 30 डिलीवरी

    समाजसेवी एडवोकेट आनंद कुमार साहू और मनोज कुमार साहू सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2015 से 2020 तक यहां डिलीवरी प्वाइंट था। उस दौरान हर महीने औसतन 20 से 30 डिलीवरी होती थीं। महिला चिकित्सक के ट्रांसफर होने के बाद यह सुविधा बंद कर दी गई। इसके बाद ग्रामीणों ने कई बार बीएमओ, सीएमएचओ और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर महिला चिकित्सक की पदस्थापना की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।

    जांच सुविधा भी नहीं

    स्वास्थ्य केन्द्र में जांच सुविधा का भी बुरा हाल है। पहले जहां नियमित रूप से मरीजों की जांच होती थी, अब यहां सिर्फ सप्ताह में एक दिन जांच की व्यवस्था है। यह स्थिति उस आबादी के लिए बड़ी समस्या है, जो स्वास्थ्य केन्द्र पर निर्भर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आसपास के 56 गांवों के लोग इसी केन्द्र पर इलाज के लिए आते हैं, लेकिन सुविधा के अभाव में उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है।

    स्टाफ और डॉक्टर दोनों की कमी

    करीब सात महीने पहले स्वास्थ्य केन्द्र में एक डॉक्टर की पदस्थापना की गई थी, लेकिन वे आगे की पढ़ाई के लिए चले गए। तब से डॉक्टर का पद खाली पड़ा हुआ है। वर्तमान में यहां सिर्फ आयुष विभाग के डॉक्टर सुरेंद्र परते, एक स्टाफ नर्स और एक भृत्य कार्यरत हैं। दो साल से किसी महिला चिकित्सक की भी पदस्थापना नहीं हुई है। इसका सीधा असर गर्भवती महिलाओं और प्रसूता मरीजों पर पड़ रहा है।

    ग्रामीणों में आक्रोश

    ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मरीजों की जान पर बनी रहती है। कई बार गंभीर मरीज समय पर इलाज न मिलने से संकट में आ जाते हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही डॉक्टर और सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। तो वही इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. जयपाल सिंह ठाकुर का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बखारी में जल्द ही डॉक्टर की पदस्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जारी है और ग्रामीणों को जल्द ही राहत मिलेगी।

    बखारी का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र इस समय सिर्फ नाम का केन्द्र बनकर रह गया है। डॉक्टर और सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों को नजदीकी कस्बों या जिला अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यह स्थिति ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोर कड़ी को उजागर करती है। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग कब तक गंभीरता दिखाता है और ग्रामीणों को राहत मिल पाती है।

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