कल 7 सितंबर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होगी। इसी दिन रात को इस इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि करने का विधान है और इन कर्मों से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिषियों के अनुसार रात 9:58 बजे से शुरू होकर यह ग्रहण देर रात 1:26 बजे तक रहेगा। इसका पीक टाइम रात 11 बजे से 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा, जब चंद्रमा का अद्भुत दृश्य स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। 7 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और इसी दिन पितृ पक्ष भी शुरू हो जाएंगे, पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा।
ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में
यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। राहु-केतु और सूर्य-बुध की युति से यह ग्रहण विशेष योग बना रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को सावधानी बरतनी चाहिए। चंद्र ग्रहण न केवल भारत में बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।
किस तिथि को कौन सा श्राद्ध रहेगा
पूर्णिमा का श्राद्ध- 7 सितंबर
प्रतिपदा- 8 सितंबर
द्वितीया-9 सितंबर
तृतीया व चतुर्थी- 10 सितंबर
पंचमी का श्राद्ध- 11 सितंबर
षष्ठी का श्राद्ध- 12 सितंबर
सप्तमी का श्राद्ध-13 सितंबर
अष्टमी का श्राद्ध- 14 सितंबर
नवमी का श्राद्ध- 15 सितंबर
दशमी का श्राद्ध- 16 सितंबर
एकादशी का श्राद्ध- 19 सितंबर
द्वादशी का श्राद्ध- 18 सितंबर
त्रयोदशी का श्राद्ध- 19 सितंबर
चतुर्दशी का श्राद्ध- 20 सितंबर
अमावस्या का श्राद्ध- 21 सितंबर
अन्य मंदिरों में भी बदलाव
चंद्र ग्रहण के कारण महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन होने वाली शयन आरती का समय बदलकर रात 9:15 बजे कर दिया गया है। आरती ग्रहण शुरू होने से पहले 9:45 बजे तक समाप्त कर दी जाएगी, इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। सोमवार सुबह की भस्म आरती से पहले मंदिर का शुद्धिकरण होगा। इसके बाद बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर विशेष पूजन-अर्चन किया जाएगा।
अन्य मंदिरों में भी बदलाव
गोपाल मंदिर में सूतक काल से पहले पूजन और आरती कर पट बंद कर दिए जाएंगे। गुरु सांदीपनि आश्रम और अन्य वैष्णव मंदिरों में भी सूतक काल शुरू होने से पहले भगवान का पूजन-अर्चन होगा। हरसिद्धि माता मंदिर में भी सूतक काल से पहले पूजन किया जाएगा और गर्भगृह बंद रहेगा। सोमवार को माता का स्नान, नवीन वस्त्र धारण और श्रृंगार कर आरती की जाएगी। मंगलनाथ मंदिर पर भी चंद्रग्रहण का प्रभाव रहेगा। रविवार को सुबह 11 बजे तक भात पूजन किया जा सकेगा। इसके बाद गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक केके पाठक ने बताया कि ग्रहण काल के दौरान श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा।
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