केवलारी, राष्ट्रबाण। एक तरफ़ मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान मंचों से अपराध एवं माफिया मुक्त प्रदेश बनाने का दंभ भरते नहीं थक रहे हैं, महिलाओ को सशक्त बनाने के लिए लाड़ली बहना योजना चला रहे है। गंभीर मामलों में दर्ज आरोपियों के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाकर सरकार अपराधियों के मन में खोफ भर रहे है । तो सरकार की मंशानुरूप सिवनी जिला के पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव भी जिले में अपराध को नियंत्रण करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अपने कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा विभाग में चर्चित है, अपराधियों के लिए वह बेहद सख्त रवैया अपनाये हुए हैं। पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने अधिनस्थ अधिकारी – कर्मचारियों को भी कर्तव्यनिष्ठ एवं अपने कार्यों के प्रति ईमानदार होने का पाठ पढ़ा रहे है ।
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प्राप्त जानकारी अनुसार पुलिस अधीक्षक ने प्रत्येक थाना पर पदस्थ अधिकारी कर्मचारी को सख्त निर्देश है कि पीड़ित एवं आमजन से सहज एवं सरल व्यवहार किया जाए, उनकी समस्याओं का यथासंभव त्वरित निदान किया जाए और अपराधी एवं माफियाओं के खिलाफ पुलिस सख्त से सख्त रवैया अपनाया जाए । लेकिन इसके बावजूद उनके अधीनस्थ कुछ पुलिसकर्मी अपराधियों का सम्मान कर रहे हैं। उनके साथ अच्छा तालमेल एवं सहज रवैया अपना कर अपना निजी स्वार्थ पूरा कर अपरधियों को संरक्षण दे रहे है।
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ऐसा ही एक मामला सिवनी जिले के अंतर्गत आने वाली पलारी चौकी से सामने आया जहां मैंरा पलारी निवासी 13 वर्षीय पीड़ित मासूम बच्ची एवं उसके परिजनों ने पलारी पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि नाबालिंग मासूम बच्ची का अपहरण कर जबरन शादी करने वाले आरोपियों को पलारी पुलिस संरक्षण दे रही है, उसे गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जा रहा है । ऐसे गंभीर आरोप पुलिस विभाग की छवि को कलंकित कर रहे है। इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर पुलिस महकमा के उच्च अधिकारियों को जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना चाहिए।
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यह है मामला
जानकारी के अनुसार दिनांक 08/05/2023 को थाना केवलारी के अंतर्गत आने वाली चौकी पलारी में आईपीसी की धारा 363 के तहत एफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें पलारी पुलिस द्वारा एफ आई आर में उल्लेख है कि गिट्टी खदान मैरा पलारी निवासी एक महिला द्वारा पलारी चौकी पहुंचकर अपनी 13 वर्षीय नाबालिक बच्ची के अपहरण होने की सूचना लेकर चौकी पहुंची। पीड़िता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया एवं मासूम बच्ची की खोज प्रारंभ कर दी गई। पीड़िता एवं उसके परिजनों के अनुसार विजयवाड़ा से 13 दिन बाद बच्ची को बरामद कर लिया गया और बच्ची परिजनों को सोप दी गई। लेकिन सवाल यह है कि अपहरण कर, जबरन शादी करने के आरोपियों को नहीं पकड़ा गया।
आपको बता दें कि 13 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया कि बार बार दस्त लगने से वह रात में शौचालय जा रही थी, उस समय दो युवक दीनू तेकाम एवं लक्ष्मण उईके ने आकर उस पर कमल डाला और उसका अपहरण कर दो पहिया वाहन पर जबलपुर ले गए। जबलपुर से नरसिंहपुर , नरसिंहपुर से मंडला, मंडला से जबलपुर एवं जबलपुर से विजयवाड़ा ले गए। उन्होंने बच्ची के साथ गलत किया।