सिवनी, राष्ट्रबाण। 29 जून रात्रि बाहुवली चौक में हुए विवाद में कांग्रेस नेता संजय भारद्वाज के पुत्र की गुंडागर्दी में दुकानदार शुभम के सिर पर गंभीर चोट लगने से पुलिस प्रशासन कार्यवाही की गई। काउंटर केस लिए संजय भारद्वाज के पुत्र की और से शिकायत दर्ज की गई जिसमे पैर में चोट लगने की बात कही गई और जिला अस्पताल में डॉक्टरी मुल्हाजा किया गया जिसमे आरोपी के पैर में चोट आने बात कही गई।
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जानकारों की माने तो घटना के दिन आरोपी गन्नू भारद्वाज को जिला अस्पताल लाया गया जहां से पैर फैक्चर बताते हुए जिला अस्पताल में 30 जून को एक्सरे रिपोर्ट दी गई, जिसमे घुटने की कटोरी टूटने की का उल्लेख किया गया है। लेकिन डॉक्टर सोनी द्वारा लिखित आवेदन में पैर का सही होते हुए फर्जी एक्सरे रिपोर्ट के खुलासे ने पुरे अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिया है।
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सूत्रों की माने तो कांग्रेस नेता ने अपने पुत्र के पैर फैक्चर की फर्जी एक्सरे रिपोर्ट बनाने के लिए अस्पताल प्रशासन के अधिकारी को मोटी रकम की चढ़ोत्तरी चढ़ाई गई जिसके एवज में एक नाबालिंग के एक्सरे रिपोर्ट कांग्रेस नेता के पुत्र के नाम बना दी गई। यह एक्सरे रिपोर्ट को आरोपी की जमानत के लिए उपयोग किया गया। लेकिन रिपोर्ट के फर्जीवाड़ा के खुलासा के बाद अब यही रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई है।
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सिर्फ जाँच दल गठन की बात कर रहे सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. विनोद नावकर जाँच दल गठित करने की बात कर रहे है लेकिन इस पुरे मामले पर एफआईआर दर्ज कराने से कतरा रहे है। वैसे तो जिला अस्पताल की लापरवाही में सिविल सर्जन भी बराबरी के दोषी है लेकिन अपनी गलतियों से पल्ला झाड़ते हुए सारी गलती अपने स्टाफ की बताते हुए अपनी गर्दन बचा रहे है।
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एक ही मरीज की दो रिपोर्ट कैसे?
जानकारों के मुताबिक 30 जून 2023 को डॉ. के.के. साहू द्वारा एक्सरे के लिए लिखा फिर एक्सरे रिपोर्ट में हत्या के प्रयास के आरोपी गन्नू भारद्वाज दाहिने पैर में फैक्चर बताया गया लेकिन 6 जुलाई 2023 को डॉ. सोनी द्वारा उसी आरोपी का पुनः एक्सरे किया गया जिसमे पैर पूरी तरह ठीक होना बताया गया और पत्र लिखकर एक्सरे रिपोर्ट में हुए फर्जीवाड़ा का खुलासा हो गया। इस पुरे मामले में एक्सरे टेक्नीशियन तीरथ महोबिया, एक्सरे डेवलपर, डॉ. के.के साहू और सिविल सर्जन विनोद नावकर का दोष स्पष्ट नजर आता है।
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अब स्वास्थ्य विभाग कर रहा पुलिस विभाग को सेट
सूत्रों की माने तो फर्जी एक्सरे रिपोर्ट के बाद अपने आपको फसता देख स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार लापरवाह पुलिस विभाग को सेट कर एक्सरे रिपोर्ट बदलने की फ़िराक पर है। लेकिन अब देखना यह होगा न्यायलय में जमा एक्सरे रिपोर्ट को बदलने का जोखिम पुलिस उठाती है या नहीं ? अगर इस योजना पर स्वास्थ्य विभाग विफल होता है तो कई जिम्मेदारों का नपना तय है और उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना भी तय माना जा रहा है।
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एक कहानी यह भी बताने का प्रयास
अस्पताल प्रशासन के सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग इस मामले से बचने के लिए महज सात दिनों में फैक्चर ठीक होने का दावा कर सकते है। लेकिन डॉक्टरी पैसा से जुड़े लोगो की माने तो यह संभव नहीं है। लेकिन सिवनी अस्पताल इ पदस्थ डॉक्टरों द्वारा शायद यह चमत्कार कर दिखाया जाये।