सिवनी, राष्ट्रबाण। जिले में नियमों को ताक पर रखकर यात्री बसों का संचालन हो रहा है। यात्री बसों में ऊपर से लेकर अंदर तक सवारियों को भरकर ओवरलोडिंग चलाया जा रहा है। अगर घटना होती है तो बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान होने की संभावना है, लेकिन प्रशासन इस पर खामोश है। राष्टबाण द्वारा दिन प्रतिदिन बस स्टैंड के पास के गांव जाकर पड़ताल की जिसमें ओवरलोड यात्री बस चलाने की सच्चाई सामने आई, यह यात्रा जोखिम भरी है। यात्रा मौत को बुलावा देने जैसा है, लेकिन फिर भी प्रशासन कार्यवाही करने से खामोश है। लिहाजा जिले में परिवहन नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। बताते चलें कि जिलेभर में करीब हजारों से ज्यादा छोटी-बड़ी सवारी वाहनों का परिचालन रोजाना होता है। जिसमें से अधिकांश वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियों को ढोया जाता है।
सड़क पर अधिकांश लोकल बसों में यात्रियों और समान को बैठाकर बसों का परिचालन कराया जा रहा था। सड़क पर पुलिस भी तैनात है। लेकिन वह बसों को रोकी नहीं प् रहे, खुलेआम बस निकल जाया करती है। सिवनी से केवलारी, सिवनी से घंसौर, सिवनी से धनौरा जाने वाली यात्री बसों में भीतर से लेकर छत तक ठुस-ठुस कर यात्रियों और सामान को भरा जाता है। यात्रियों का है कहना हर बार यही हालात रहते है कि हर गाड़ी में यही दृश्य देखने को मिलता है हमें यात्रा मजबूरी में करनी पड़ती है, हमें ओवरलोडेड बस में बैठना हमारी विवषता है।
जानिए क्या है नियम
किसी भी यात्री बस को परमिट एक तय मानक के तहत दिया जाता है। परमिट पर ही सिटिंग क्षमता तय होती है। उसके अनुसार ही यात्री बसों का संचालन करना होता है। अगर कोई यात्री बस अपने परमिट के अनुसार क्षमता से अधिक यात्रियों को बसों में बैठाता है तो वह नियम के विरूद्ध है। वहीं बस के ऊपर बैठाना तो बिल्कुल अपराध है। क्षमता से अधिक ओवरलोडिंग एमवी एक्ट 1988 के सेक्शन 192 के तहत अपराध है। अगर कोई यात्री बस मालिक इसका उल्लंघन करता है तो उसे पांच हजार का आर्थिक जुर्माना या परमिट रद्द तक की कार्यवाही हो सकती है।