भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 7 अगस्त 2025 को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अहम मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य भारत और रूस के बीच रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करना था। डोभाल ने संकेत दिया कि पुतिन इस साल के अंत तक भारत का दौरा कर सकते हैं, जो दोनों देशों की दशकों पुरानी दोस्ती को नई ताकत देगा। यह मुलाकात वैश्विक मंच पर भारत-रूस संबंधों की अहमियत को और उजागर करती है।
रूस के साथ गहरी होती साझेदारी
मॉस्को पहुंचने के बाद डोभाल ने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगू से भी विस्तार से बातचीत की। शोइगू ने भारत-रूस संबंधों को समय की कसौटी पर खरा बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना मॉस्को की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच जल्द ही उच्च स्तरीय वार्ता होनी चाहिए। यह साझेदारी आपसी विश्वास, सम्मान और साझा हितों पर टिकी है। शोइगू ने कहा कि भारत और रूस के बीच यह दोस्ती न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद है, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी जरूरी है।
साझा चुनौतियों पर एकजुटता
शोइगू ने यह भी बताया कि भारत और रूस आधुनिक समय की चुनौतियों, जैसे सुरक्षा खतरों और वैश्विक समस्याओं, से मिलकर निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देश लंबे समय से रक्षा, ऊर्जा, तकनीक और व्यापार जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। डोभाल की इस यात्रा से साफ है कि भारत और रूस अपनी रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। इस मुलाकात में रक्षा क्षेत्र में नई तकनीकों के आदान-प्रदान और ऊर्जा क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई। भारत के लिए रूस से सस्ती ऊर्जा आपूर्ति और उन्नत रक्षा उपकरणों का सहयोग लंबे समय से महत्वपूर्ण रहा है।
पुतिन के संभावित भारत दौरे की खबर ने दोनों देशों के बीच उत्साह बढ़ा दिया है। यह दौरा न केवल रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा, बल्कि व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा। भारत और रूस पहले से ही कई क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जैसे कि अंतरिक्ष अनुसंधान, सैन्य सहयोग और तेल-गैस परियोजनाएं। डोभाल की इस मुलाकात ने यह साफ कर दिया कि दोनों देश वैश्विक मंच पर एक-दूसरे का साथ देने के लिए तैयार हैं। खासकर ऐसे समय में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के माहौल में कई चुनौतियां सामने हैं।
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