नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार (4 सितंबर) देर रात भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए, जिसने लोगों के बीच खलबली मचा दी। यह दूसरी बार है जब एक हफ्ते के भीतर दिल्ली-एनसीआर में धरती डोली है। इससे पहले 31 अगस्त को भी देर रात भूकंप के झटके आए थे। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) ने अभी तक इस भूकंप की तीव्रता और केंद्र की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। कई यूजर्स ने इसे हल्का लेकिन डरावना बताया, तो कुछ ने दिल्ली की लगातार प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जताई।
दिल्ली में भूकंप की हलचल
गुरुवार रात करीब 11 बजे दिल्ली और आसपास के नोएडा, गाजियाबाद, और गुरुग्राम जैसे इलाकों में लोगों ने हल्के झटके महसूस किए। दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा ने बताया, “रात को अचानक बिस्तर हिलने लगा। पहले लगा कि नींद में कोई भ्रम है, लेकिन जब पंखा हिलता दिखा, तो डर लग गया।” हालांकि, इस भूकंप से किसी नुकसान की खबर नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यूजर्स ने अपने अनुभव शेयर किए। एक यूजर ने लिखा, “लगता है दिल्ली का टाइम खराब चल रहा है। बारिश, बाढ़, और अब भूकंप!” एक अन्य ने मजाक में कहा, “दुनिया में कहीं भी भूकंप आए, दिल्ली-एनसीआर तो हिलता ही है।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
भूकंप के झटकों ने सोशल मीडिया को चर्चा का केंद्र बना दिया। कई लोगों ने इसे हल्का लेकिन ध्यान खींचने वाला बताया। एक यूजर ने X पर लिखा, “झटके हल्के थे, लेकिन रात में अचानक डर तो लगता ही है।” कुछ ने दिल्ली की भौगोलिक स्थिति पर सवाल उठाए, जैसे, “हर बार दिल्ली क्यों हिलती है? क्या हम भी किसी बड़े भूकंप की राह पर हैं?” कुछ यूजर्स ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा, “दिल्ली में बारिश रुकती नहीं, अब भूकंप भी शुरू। अब बस तूफान की कमी है!” ये प्रतिक्रियाएँ दर्शाती हैं कि दिल्लीवासियों में डर के साथ-साथ हल्का हास्य भी बरकरार है।
अफगानिस्तान में भूकंप की तबाही
दिल्ली के झटकों से ठीक पहले, 31 अगस्त को अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। इसका केंद्र जलालाबाद के पास, पाकिस्तान सीमा से सटे पहाड़ी इलाके में था। तालिबान प्रशासन के अनुसार, इस भूकंप में 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए और 2,000 से अधिक घायल हुए। भूकंप की गहराई सिर्फ 8 किलोमीटर होने के कारण इसका प्रभाव सतह पर ज्यादा रहा। कच्चे मकानों के ढहने और भूस्खलन से सड़कें बंद होने के कारण राहत कार्यों में देरी हुई। इस घटना के बादशॉक्स दिल्ली तक महसूस किए गए थे, जिसने हिमालयी क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता को फिर से उजागर किया।
हिमालय का भूकंपीय खतरा
दिल्ली और अफगानिस्तान दोनों ही हिमालय और हिंदूकुश पर्वतमाला के भूकंपीय क्षेत्र में आते हैं। यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से जोन-4 में आता है, जो मध्यम से उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है। दिल्ली के भूवैज्ञानिक प्रो. अशोक मेहता ने बताया, “हिमालयी क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप सामान्य हैं, लेकिन इनसे बड़े भूकंप की आशंका बढ़ सकती है। हमें इमारतों को भूकंप-रोधी बनाने और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।”
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