सिवनी, राष्ट्रबाण। मंडल अध्यक्ष चयन प्रक्रिया के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष छवि कोयला की कालिक से भी अधिक काली हो गई है। मंडल अध्यक्षो की नियुक्ति पर भाजपा जिलाध्यक्ष पर उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा पैसे लेनदेन और भाई भतीजावाद के साथ गुटबाजी के आरोप लग रहे है। बाहर मंडलो से कार्यकर्ताओं का जिला मुख्यालय कार्यालय में आकर जिलाध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध व्यक्त कर रहे है।
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राजनैतिक सूत्रों की माने तो जिले में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद से इन नियुक्ति पर मनमानी और पदों की खरीदी बिक्री के आरोप लगे। आरोपों के बाद कुछ मंडलो की नियुक्ति निरस्त होने के पश्चात् विरोध के स्वर तेज हो गए। सूत्रों की माने तो जिन मंडल अध्यक्षो की नियक्ति निरस्त हुई वह भाजपा जिलाध्यक्ष के करीबी थे। इनकी नियुक्ति निरस्त होना भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे के लिए मंडल चयन में करारी हार थी, इसलिए अलोक दुबे ने मंडल अध्यक्षों की सूचि लेकर आलाकमान के पास भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगा दी।
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लेकिन अलोक दुबे के जिलाध्यक्ष के कार्यकाल का यह सबसे बुरा दौर रहा और उन्हें भोपाल और दिल्ली दरबार से बेरंग और बेआबरू हो कर लौटना पड़ा। राजनैतिक गलियों में चर्चा है कि हाईकमान ने नवनियुक्त मंडल अध्यक्षो के निरस्ती को बरक़रार रखते हुए किसी भी की बहाली करने से इंकार कर दिया। हाईकमान ने जिलाध्यक्ष को वापिस करते हुए कहा किसी की नियुक्ति बहाली नहीं होगी, संगठन में मनमानी को लेकर फटकार भी लगाई।