भारत का ‘मैक 5’ फाइटर जेट छठी पीढ़ी का हथियार जो हिला देगा पाकिस्तान और चीन को

Rahul Maurya

    नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: भारत की हवाई ताकत जल्द ही नई ऊँचाइयों को छूने वाली है। यूरोप का सबसे महत्वाकांक्षी रक्षा प्रोजेक्ट, SCAF/FCAS (फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम), भारत के लिए एक बड़ा अवसर बनकर सामने आया है। फ्रांस, जर्मनी और स्पेन द्वारा विकसित यह छठी पीढ़ी का युद्धक विमान भारत की रक्षा शक्ति को नया आयाम दे सकता है। अगर भारत इस प्रोजेक्ट में शामिल होता है, तो यह न केवल भारतीय वायुसेना को और मजबूत करेगा, बल्कि पाकिस्तान और चीन के लिए भी एक बड़ी रणनीतिक चुनौती बन जाएगा।

    एक विमान नहीं, पूरी हवाई सेना

    SCAF/FCAS कोई साधारण फाइटर जेट नहीं है, बल्कि यह एक ‘सिस्टम ऑफ सिस्टम्स’ है। इसमें न्यू जेनरेशन फाइटर (NGF) के साथ-साथ मानवरहित ड्रोन, जिन्हें रिमोट कैरियर्स कहा जाता है, शामिल होंगे। ये सभी एक डिजिटल नेटवर्क, जिसे कॉम्बैट क्लाउड कहते हैं, के जरिए आपस में जुड़े रहेंगे। यह नेटवर्क रियल-टाइम में सूचनाओं का आदान-प्रदान करेगा, जिससे यह जेट अकेले नहीं, बल्कि एक पूरी हवाई टुकड़ी के साथ दुश्मनों पर कहर बरपाएगा। इसकी स्टील्थ तकनीक इसे दुश्मन के रडार से पूरी तरह अदृश्य बना देगी, जबकि इसकी लेजर हथियार और हाइपरसोनिक मिसाइलें पलक झपकते ही लक्ष्य को नष्ट कर देंगी।

    मैक 5 की रफ्तार, बेजोड़ तकनीक

    यह विमान हाइपरसोनिक गति, यानी मैक 5 (लगभग 6174 किमी/घंटा) या उससे अधिक की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। यह मौजूदा पाँचवीं पीढ़ी के विमानों, जैसे अमेरिका के F-35, से कहीं अधिक उन्नत है। इसकी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ इसे भविष्य का सबसे घातक हथियार बनाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विमान भारत को क्षेत्रीय हवाई श्रेष्ठता में अग्रणी बना देगा। डसॉल्ट एविएशन, एयरबस, और इंड्रा सिस्टमास जैसे यूरोपीय दिग्गज इस प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहे हैं, और इसका पहला डेमो उड़ान 2027 तक होने की उम्मीद है।

    भारत के लिए रणनीतिक मौका

    भारत और फ्रांस के बीच लंबे समय से मजबूत रक्षा साझेदारी रही है, और अब भारत को इस प्रोजेक्ट में पर्यवेक्षक देश का दर्जा मिलने की संभावना है। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि इससे न केवल उन्नत तकनीक तक पहुँच बनेगी, बल्कि भारत का स्वदेशी AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट भी मजबूत होगा। यह सहयोग ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को बढ़ावा देगा, साथ ही भारतीय रक्षा कंपनियों को यूरोप की सप्लाई चेन में शामिल होने का मौका देगा। अगर भारत इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लेता है, तो वह बिना पूर्ण वित्तीय जिम्मेदारी के छठी पीढ़ी की तकनीक की गहरी समझ हासिल कर सकता है।

    पाकिस्तान और चीन पर क्या होगा असर

    SCAF/FCAS भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने पर क्षेत्रीय हवाई संतुलन पूरी तरह बदल सकता है। पाकिस्तान, जो अभी भी पुराने चीनी JF-17 और अमेरिकी F-16 विमानों पर निर्भर है, इस जेट की उन्नत AI और ड्रोन तकनीक का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होगा। अप्रैल 2025 में कश्मीर के ऊपर हुए हवाई संघर्ष में पाकिस्तान के J-10C ने भारत के राफेल को नुकसान पहुँचाया था, जिसने भारत की हवाई कमजोरियों को उजागर किया था। SCAF/FCAS की तैनाती से भारत न केवल इन कमजोरियों को दूर कर सकता है, बल्कि हवाई श्रेष्ठता में पाकिस्तान पर भारी बढ़त हासिल कर सकता है।

    चीन के लिए भी यह चिंता का विषय है। चीन ने हाल ही में अपनी छठी पीढ़ी की J-36 फाइटर जेट की टेस्ट उड़ान की है, जो स्टील्थ और AI तकनीक से लैस है। लेकिन SCAF/FCAS की मैक 5 गति, लेजर हथियार, और ड्रोन नेटवर्क इसे क्षेत्र में सबसे उन्नत हथियार बना सकते हैं। अगर भारत इस प्रोजेक्ट में शामिल होता है, तो वह चीन के बढ़ते हवाई दबदबे को चुनौती दे सकता है।

    FCAS या AMCA?

    भारत के सामने एक रणनीतिक दुविधा है। SCAF/FCAS या यूके, जापान, और इटली के ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) में शामिल होने से भारत को उन्नत तकनीक मिल सकती है, लेकिन यह स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट से संसाधन और ध्यान हटा सकता है। AMCA, जो 2035 तक भारतीय वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है, एक पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है, जिसे स्वदेशी तकनीक पर गर्व का प्रतीक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि FCAS में पर्यवेक्षक की भूमिका भारत को दोनों दुनिया का लाभ दे सकती है यूरोपीय तकनीक की समझ और AMCA के विकास में तेजी।

    Read Also: चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा: PM मोदी से मुलाकात, सीमा विवाद और ट्रंप को संदेश

    error: Content is protected !!