लंदन में एंटी-इमिग्रेशन का बवाल, 1 लाख से ज्यादा प्रदर्शनकारी उतरे सड़क पर

Rahul Maurya

    लंदन, राष्ट्रबाण: ब्रिटेन की राजधानी लंदन में शनिवार को एक लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए, जो हाल के वर्षों का सबसे बड़ा दक्षिणपंथी प्रदर्शन माना जा रहा है। एंटी-इमिग्रेशन नेता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में “यूनाइट द किंगडम मार्च” नामक इस रैली में लोग अपनी आजादी और देश की सुरक्षा के नाम पर एकजुट हुए। नेपाल में हाल ही में हुए बड़े प्रदर्शनों के बाद ये घटना दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। लेकिन इन दक्षिणपंथी गुटों की असल मांगें क्या हैं?

    प्रदर्शन का माहौल

    प्रदर्शनकारियों ने यूनियन जैक और सेंट जॉर्ज क्रॉस के झंडे लहराए, तो कुछ ने अमेरिकी और इजरायली झंडे भी थामे। “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” कैप पहनकर लोग ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पोस्टरों पर “उन्हें घर भेजो” जैसे स्लोगन दिखे, जो अवैध प्रवासियों को निशाना बना रहे थे।

    रॉबिन्सन ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी का उत्सव बताया और सोशल मीडिया पर लिखा कि लाखों लोग अपनी स्वतंत्रताओं के लिए खड़े हैं। लेकिन तनाव भी खूब रहा पुलिस पर हमले की खबरें आईं, और काउंटर-प्रदर्शन “स्टैंड अप टू रेसिज्म” में 5,000 लोग शामिल हुए। मेट्रोपॉलिटन पुलिस को बीच-बचाव के लिए कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा।

    दक्षिणपंथी गुटों की मुख्य मांगें

    ये प्रदर्शन मुख्य रूप से इमिग्रेशन और राष्ट्रीय पहचान के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। टॉमी रॉबिन्सन और उनके समर्थक ब्रिटेन में अवैध प्रवास को रोकने की मांग कर रहे हैं। इस साल अब तक 28,000 से ज्यादा लोग छोटी नावों से इंग्लिश चैनल पार करके ब्रिटेन पहुंच चुके हैं, जिसे वे देश की सुरक्षा और संसाधनों के लिए खतरा मानते हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं:

    • अवैध प्रवासियों को तुरंत देश से बाहर करना।
    • अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूत करना, खासकर सरकार की आलोचना पर लगाम लगाने के खिलाफ।
    • राष्ट्रीय गर्व को बढ़ावा देना, जैसे झंडों और सांस्कृतिक प्रतीकों के जरिए।
    • सरकार की नीतियों पर सवाल, जैसे स्टार्मर सरकार पर विदेशी प्रभाव का आरोप।

    एक प्रदर्शनकारी सैंड्रा मिशेल ने कहा, “हम अपना देश वापस चाहते हैं। अवैध प्रवासियों को रोका जाए, और हमारी आजादी बरकरार रहे।” रॉबिन्सन खुद को पत्रकार बताते हैं, जो सरकार की कमियों को उजागर करते हैं, हालांकि उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।

    पुलिस की सख्ती और सुरक्षा इंतजाम

    लंदन में शनिवार को फुटबॉल मैच और कॉन्सर्ट भी चल रहे थे, इसलिए पुलिस ने 1,600 से ज्यादा अधिकारियों को तैनात किया, जिनमें 500 दूसरे शहरों से बुलाए गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरों को तोड़ने की कोशिश की, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। घुड़सवार दस्ते और अतिरिक्त फोर्स उतारी गई।

    पुलिस कमांडर क्लेयर हेन्स ने कहा कि प्रदर्शन को निष्पक्ष तरीके से संभाला जाएगा, लेकिन अव्यवस्था फैलाने वालों पर सख्ती होगी। उन्होंने एंटी-मुस्लिम नारों की आशंका को खारिज करते हुए विविध समुदायों को आश्वासन दिया कि कोई डरने की जरूरत नहीं।

    ब्रिटेन में बढ़ता इमिग्रेशन विवाद

    ये प्रदर्शन ब्रिटेन में इमिग्रेशन मुद्दे के उफान का प्रतीक है। सड़कों पर लाल-सफेद झंडों की बाढ़ आ गई है, जिसे समर्थक राष्ट्रीय गर्व कहते हैं, लेकिन विरोधी नफरत का प्रतीक मानते हैं। रॉबिन्सन को एलन मस्क जैसे प्रभावशाली लोग समर्थन देते हैं, लेकिन मुख्यधारा की एंटी-इमिग्रेंट पार्टियां उनसे दूरी बनाए रखती हैं। नेपाल के प्रदर्शनों से तुलना इसलिए हो रही है क्योंकि दोनों जगह स्थानीय असंतोष और विदेशी प्रभाव के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं।

    क्या बदलेगा इससे?

    ये मार्च ब्रिटेन की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। दक्षिणपंथी आवाजें तेज हो रही हैं, और सरकार पर दबाव बढ़ेगा। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये प्रदर्शन समाज में बंटवारे को और गहरा सकते हैं। लंदन की ये घटना दुनिया भर के लिए एक संकेत है कि इमिग्रेशन और पहचान के मुद्दे कितने संवेदनशील हो चुके हैं।

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