चंद्रपुर, राष्ट्रबाण. जिला सामान्य अस्पताल में अपरिपक्व नवजात शिशुओं को लेकर काफी सुरक्षा और सावधानी बरतनी होती है. परंतु जिला सामान्य अस्पताल में एक बार फिर नवजात शिशुओं के मामले लापरवाही का प्रमाण सामने आया है. दो नवजात शिशुओं की अदला बदली होने से संबंधित अभिभावकों ने हंगामा खडा कर दिया और आखिरकार अस्पताल प्रबंधन ने अपनी लापरवाही को स्वीकारते हुए बच्चों को उनके असली अभिभावकों को सौपा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिवती निवासी महिला दीक्षिता सुबोध चिकटे ने पांच दिन पूर्व जिला सामान्य अस्पताल में एक नवजात पुत्री को जन्मदिया था. हालांकि जन्म के समय बच्ची का वजन कम होने के कारण नवजात को इलाज के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया था वहां मां को बच्चे के पास दूध पिलाने के लिए ले जाया जाता है और दूध पिलाने के बाद वापस प्रसव कक्ष में लाया जाता है. शुक्रवार दोपहर को दीक्षिता चिकटे को बच्चे को स्तनपान कराने के लिए ले जाया गया. परंतु बच्चे ने दूध नहीं पिया. दीक्षिता ने नर्स से पूछा कि बच्चा दूध नहीं पी रहा है, कोई परेशानी तो नहीं है। इस पर वहां मौजूद नर्स ने उसे अस्पष्ट उत्तर दिए.दीक्षिता को लगा कि कुछ गड़बड़ है. क्योंकि दीक्षित ने जिस बेटी को जन्म दिया था उसका रंग गोरा और आंखें नीली थीं. उसने जब नवजात की नैपी खोलकर देखा तो लडकी के बजाय लडका था. उन्हें बेटी की जगह नवजात बेटा दे दिया गया जिसका रंग भी काला था.
दीक्षिता ने तुरंत अपने पति सुबोध को फोन किया और बताया कि बच्चा बदल दिया गया है. जैसे ही उन्हें एहसास हुआ कि बच्चा बदल गया है, पिता अस्पताल पहुंचे और वहां चिल्लाने लगे. इस समय डॉक्टर और नर्स ने दीक्षिता को डॉटते हुए कहा कि बच्चा तुम्हारा है, तुम पागल हो गई हो क्या. उसने नर्स और डॉक्टर से सवाल किया कि वह अपने पाँच दिन के बच्चे को कैसे भूल सकती है. बच्चे के पैर पर लगा नाम का टैग भी बदल दिया गया है. इस घटना के बाद काफी हंगामे के बाद सुबोध चिकटे ने सीधे पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की चेतावनी दी. उसके बाद संबंधित डॉक्टर और नर्स को लगा कि मामला काफी गंभीर हो चुका है उन्होने तुरंत नवजात बच्चों के संदर्भ में पूरी जानकारी निकालकर जांच की तो वास्तव में बच्चा बदल गया था. नवजात लड़की और लड़के को इधर-उधर रखा गया था. इसलिए जब इस गड़बड़ी का एहसास हुआ तो नवजात बच्ची को दीक्षिता को सौंप दिया गया और जिस महिला के पास नवजात शिशु था उसे सौंप दिया गया. करीब तीन से चार घंटे तक मेडिकल कॉलेज में हंगामा चलता रहा. वरिष्ठ चिकित्सकों ने संबंधित अभिभावकों को इस संदर्भ में पूरी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया.