बालाघाट, राष्ट्रबाण। जिले के बिरसा क्षेत्र में पत्रकारिता का मूल उद्देश्य अब धुंधला पड़ता जा रहा है। कभी जनसेवा और सामाजिक सुधार का मिशन मानी जाने वाली यह विधा, अब कुछ लोगों के लिए केवल धन कमाने और दबाव बनाने का हथियार बन चुकी है। ऐसा ही एक मामला मलाजखंड से सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
मलाजखंड में ब्लैकमेलिंग का ‘आतंक’
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मलाजखंड निवासी सुभाष देशराज नामक व्यक्ति खुद को पत्रकार बताकर अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों और यहां तक कि गरीब मजदूरों तक को भी ब्लैकमेल कर रहा है। क्षेत्र में चर्चा है कि सुभाष अपनी कथित पत्रकारिता की आड़ में लोगों को धमकाकर अवैध वसूली करता है और इसी ‘ब्लैक कमाई’ से ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा है।
शिकायतों का अम्बार, कार्रवाई नदारद
प्रदीप बिसेन नामक शिकायतकर्ता ने बताया कि सुभाष देशराज लगातार अधिकारियों को धमकाकर पैसे वसूलता है। इस संबंध में बिरसा और मलाजखंड थाने सहित पुलिस अधीक्षक बालाघाट और कलेक्टर तक शिकायत की जा चुकी है, मगर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
SC/ST एक्ट में फंसाने की धमकी
सूत्रों के मुताबिक, सुभाष उन लोगों को SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम में फंसाने की धमकी देता है, जो उसके खिलाफ शिकायत करने का साहस दिखाते हैं। इस वजह से अनेक पीड़ित डर के मारे चुप हैं, जबकि जिन लोगों ने शिकायत की भी, उनकी अर्ज़ियों को अनसुना कर दिया गया।
प्रशासनिक निष्क्रियता से हौंसले बुलंद
क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि स्थानीय पत्रकारों के दबाव में थानों में शिकायतें दर्ज तो हो जाती हैं, पर कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की चुप्पी से सुभाष देशराज के हौंसले और बुलंद होते जा रहे हैं, और वह निर्भीक होकर अपना ‘वसूली अभियान’ चला रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया तो यह प्रवृत्ति पूरे जिले में पत्रकारिता के प्रति लोगों का विश्वास तोड़ सकती है। साथ ही, असली और ईमानदार पत्रकारों की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और ऐसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई करते हुए पत्रकारिता जैसे सम्मानित पेशे को कलंकित होने से बचाए। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, इसे मजबूती देनी है, न कि गिरवी रखना।
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