सिवनी, राष्ट्रबाण। सिवनी जिले से होकर गुजरने वाली सड़क नेशनल हाईवे 44 पर बना मड़ई टोल प्लाजा इन दिनों आने जाने बाले यात्रियों के साथ-साथ एम्बुलेंस के लिए भी सिरदर्द बन गया है। हर वाहन को एंट्री के नाम घंटो खड़ा किया जा रहा है, चाहे वह वाहन शासकीय हो या एम्बुलेंस। सभी एक लम्बी कतार में खड़ा किया जाता है। जबकि इमरजेंसी के लिए टोल के दोनों साइड एक सर्विस रोड बनाई गई है, जिससे उन वाहनों को बगैर रोके ही निकाला जा सके।
किन्तु टोल कर्मियों की गुंडागर्दी या यूं कहे की उनकी तानाशाही के चलते इमरजेंसी वाहनों को भी लंबी कतार में खड़े होने को मजबूर किया जाता है। टोल में दोनों ओर की सर्विस रोड को बंद करके रखा गया है, जिससे एम्बुलेंस, पुलिस, न्यायधीश ओर भी शासकीय वाहनों को लम्बी कतार में होकर गुजरने को मजबूर रहते है। कतार में खड़े करके उनका समय खराब किया जाता है, जानकारों की माने तो इन वाहनों को टोल प्लाजा में टेक्स फ्री किया गया है और उनके लिए टोल के दौनो ओर एक सर्विस रोड भी बनाई गई है। बावजूद इसके इनविट NHAI मैनेजर हेमंत राजपूत अपनी दबंगई दिखाते हुए NHAI के नियम के नियमो को तोड़ खुद के नियम टोल पर थौप रहे हैं। टोल मैनेजर की तानाशाही से लोगों में भारी आक्रोश पनप रहा है।
नही है सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम
इस टोल प्लाजा पर दुर्घटना होने पर उससे निपटने के पर्याप्त संसाधन नहीं है। घटना दुर्घटना होने पर टोल के पास पर्याप्त इंतेजाम नहीं है न ही इस टोल पर कोई एम्बुलेंस उपलब्ध रहती है। टोल में कोई दुर्घटना होती है या कोई व्यक्ति चोटिल होता है तो उसे हास्पिटल तक ले जाने के लिए 108 को फोन लगा का एम्बुलेंस बुलाना लोगो की मज़बूरी है। ज्ञात हो कि 108 सेवा की व्यस्ता किसी से छुपी नहीं है जिसके चलते चोटिल को इंतजार करना होता है जिससे कई बार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना भय रहता है। तो वही रात में घनघोर अंधेरा टोल प्लाजा में पसरा रहता है, टोल के हाईमास्क लाइट रात भर बंद रहते है।
क्या होना अनिवार्य है टोल पर
हर टोल प्लाजा पर शासन के निर्देश अनुसार धर्मकांटा होना चाहिए, इमरजेंसी घायल व्यक्ति को हास्पिटल तक पंहुचाने के लिए एक एम्बुलेंस टोल पर हमेशा उपलब्ध होना चाहिए जिससे घायल व्यक्ति की बचाई जा सके जान, अगर कोई बाहन टोल पर खराब होता है या रास्ते पर पलट जाता है तो उसे उठाने के लिए एक हाइड्रा क्रेन होना चाहिए। मगर इस टोल पर यह सभी संसाधनों उपलब्ध नहीं है। एक डाक्टर की नियुक्ति होना अनिवार्य है जिससे घायलों को तत्काल उपचार हेतु दवा उपलब्ध कराया जा सके और घायल अस्पताल तक पंहुच सके, मगर NHAI के इनविट मैनेजर हेमंत राजपूत की सारे नियम कानून को अपनी जेब में रखता है।
शासकीय वाहन के ड्राइवर से बदसलूकी
लखनादौन एस डी एम रवि कुमार सिहाग IAS द्वारा बिगत दिनों इनविट NHAI मैनेजर हेमंत राजपूत और SKM मैनेजर तनवीर सिंह को अपने रीडर के सांथ टोल प्लाजा पर दुर्व्यवहार के चलते फटकार लगाई थी। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दौनों मैनेजर अपनी दबंगता के लिए कितने मशहूर हैं। जब यह शासकीय वाहन के ड्राइवर से दबंगता करने से पलहेज नही करते तो आम जनता के साथ इनका कैसा व्यवहार होगा। सवाल यह है कि इन वाहनों को शासन द्वारा टोल टेक्स फ्री किया गया है उसके वबजूद वाहनों को फास्ट ट्रैक लाइन से होकर जाना पड़ रहा है। क्या NHAI के नियम में है ट्रेक्टर, आटो, रिक्शा को भी फास्ट ट्रैक लाइन से होकर गुजरने का नियम है अगर नहीं तो फिर इन वाहनों को टैक्स लाइन से हो कर क्यों गुजरना पद रहा है। क्या सर्विस मार्ग टोल पर शोभा बढ़ाने के लिए बनाई गई है?
एम्बुलेंस भी नहीं बची इन तानाशाहों से
क्या NHAI ने इनविट कम्पनी के सामने अपने सारे नियम कानून ताक में रख दिया है जो इनविट कम्पनी के मैनेजर हेमंत राजपूत और SKM मैनेजर तनवीर सिंह गुंडागर्दी कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। इन दोनों दबंगों की इंसानियत तो उस वक्त मर जाती है जब एम्बुलेंस को फास्ट ट्रैक लाइन में इंतजार करने के बाद भी पीछे करके दूसरी लाइन से होकर गुजरना पड़ा। जबकि एम्बुलेंस में हास्पिटल रेफर किया हुआ मरीज अपनी जिंदगी और मौत जूझता रहा था। जिसकी जान बचाने के लिए एम्बुलेंस चालक खुद अपनी जान को जोखिम में डालकर असीमित गति से हॉस्पिटल की ओर जाते है। नागपुर-जबलपुर रोड का यह मड़ई टोल पर मैनेजर के रूप में हेमंत राजपूत जैसे यमराज बैठे हुए जिन्हें किसी के मरने या बचने से कोई फर्क नहीं पड़ता। टोल में एम्बुलेंस 20 मिनिट तक खड़ी रही। रोज इस टोल से एम्बुलेंस गुजरती है जिन्हे मैनेजर की तानाशाही का शिकार होना पड़ता है।