नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में व्यापारिक, रणनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर कई मतभेद देखने को मिले हैं। विशेषकर टैरिफ, व्यापार संतुलन और रक्षा समझौतों को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। ऐसे समय में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का नरम रुख और भारत को लेकर सकारात्मक टिप्पणी न सिर्फ रिश्तों को संभालने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, बल्कि भविष्य की साझेदारी के नए संकेत भी दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ट्रंप की इन भावनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए एक दोस्ताना पोस्ट किया। मोदी ने कहा कि वे राष्ट्रपति ट्रंप (Trump) की भावनाओं और दोनों देशों के रिश्तों के प्रति उनके सकारात्मक आकलन की सराहना करते हैं। उन्होंने लिखा कि भारत और अमेरिका के बीच बहुत ही सकारात्मक, दूरदर्शी और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है। मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब विशेषज्ञ मान रहे थे कि भारत-अमेरिका रिश्तों में ठंडापन आ सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोधी कदम और शिक्षा जैसे क्षेत्र इसमें प्रमुख हैं। दोनों देशों की साझेदारी सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका असर पड़ता है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में अमेरिका भारत को एक अहम रणनीतिक साझेदार मानता है।
हालाँकि, हाल के महीनों में कुछ नीतिगत फैसलों ने रिश्तों में खटास भी डाली। अमेरिका ने भारत से कुछ आयातित उत्पादों पर विशेष रियायतें खत्म की थीं, जिसके बाद भारत ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ा दिए। इसके अलावा, रूस से भारत की रक्षा खरीददारी को लेकर भी अमेरिका ने चिंता जताई थी। इन सबके बीच प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान संतुलन बनाने और रिश्तों में सकारात्मकता का संदेश देने वाला माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी का यह दोस्ताना पोस्ट सिर्फ ट्रंप को संदेश देने के लिए नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह बताने के लिए है कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी मजबूत है और इसमें कोई दरार नहीं आई है। दोनों देशों की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतें एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और निवेश का बड़ा स्रोत है, वहीं भारत अमेरिका के लिए सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है।
इसके अलावा, वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी दोनों देशों के हित आपस में जुड़े हुए हैं। हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़े मसलों पर भी भारत और अमेरिका के बीच बातचीत हुई थी। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसे खत्म करने के लिए सहयोग आवश्यक है।
मोदी और ट्रंप दोनों ही नेताओं की पहचान आक्रामक राजनीतिक शैली के लिए है। ऐसे में जब दोनों नेताओं में किसी मुद्दे पर मतभेद होता है तो इसका असर तेजी से सार्वजनिक विमर्श में दिखाई देता है। लेकिन ट्रंप के नरम तेवर और मोदी का दोस्ताना पोस्ट यह दर्शाता है कि दोनों नेता रिश्तों की अहमियत को समझते हैं और मतभेदों के बावजूद साझेदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
आगे के दिनों में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ताएँ होने की संभावना है। इसमें व्यापार, निवेश, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में चर्चा हो सकती है। विशेषज्ञों की राय है कि भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र और विश्व राजनीति के लिए निर्णायक होगा।
कुल मिलाकर, ट्रंप का नरम रुख और मोदी का दोस्ताना संदेश यह संकेत देता है कि भारत और अमेरिका अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। यह न केवल दोनों देशों की जनता के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति में भी स्थिरता और संतुलन लाने में मदद करेगा।
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