अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 7 वर्षीय फाल्गुनी दुबे बनीं प्रेरणा, दिखाया योग का अद्भुत कौशल

Rashtrabaan
जीवन में योग को अपनाकर फाल्गुनी बनी बच्चों के लिए आदर्श।

बैतूल, राष्ट्रबाण। आज के डिजिटल युग में जब बच्चे अपने समय का अधिकांश भाग मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बिता रहे हैं, ऐसे में हमलापुर निवासी 7 साल की फाल्गुनी दुबे ने योग के प्रति अपने समर्पण से एक नया संदेश दिया है। निजी स्कूल में कक्षा तीसरी में अध्ययनरत फाल्गुनी ने अपने जीवन को योग से जोड़कर बच्चों के लिए प्रेरणा का एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है। फाल्गुनी दुबे का योग से जुड़ा अनुभव 2 साल पुराना है। जब वह सिर्फ 5 साल की थीं, तभी से उन्होंने अपने जीवन में योग को एक नियमित अभ्यास बना लिया था। फाल्गुनी का रोज का रूटीन बेहद अनुशासित और स्वस्थ है। फाल्गुनी के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती है 4 से 5 किलोमीटर की दौड़ लगाती है, जिसके बाद वह एक घंटा योगाभ्यास करती हैं। फाल्गुनी की यह दिनचर्या न केवल शारीरिक रूप से उन्हें फिट रखती है, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें संतुलित और एकाग्र बनाती है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर फाल्गुनी का योगाभ्यास

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर बैतूल के जेएच कॉलेज में आयोजित योग कार्यक्रम में फाल्गुनी दुबे ने अपने योग कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों ने फाल्गुनी के योग अभ्यास की सराहना कर बच्चों के लिए एक आदर्श बताया। फाल्गुनी ने कार्यक्रम में कई प्रकार के आसन और प्राणायाम किए, जिनमें सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, वृक्षासन, पद्मासन, भ्रामरी प्राणायाम, और कपालभाति जैसे प्रमुख आसन शामिल थे। उनके आसनों की लय और संतुलन देखकर सभी हैरान रह गए। एक छोटी सी बच्ची द्वारा इतने परिपूर्ण तरीके से योगाभ्यास किया जाना दर्शाता है कि अगर बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन मिले, तो वे अपनी उम्र से कहीं आगे जा सकते हैं।

योग के महत्व पर फाल्गुनी का दृष्टिकोण

योग के बारे में फाल्गुनी का कहना है कि यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन का भी बेहतरीन माध्यम है। उनका कहना है कि योग ने शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक रूप से शांत बनाया है। अगर हम नियमित योग करें तो हम न केवल स्वस्थ रहते हैं, बल्कि हमारे दिमाग को भी शांत और एकाग्र रखते हैं। फाल्गुनी के अभिभावक भी उनके योगाभ्यास को लेकर बेहद खुश हैं और उन्हें पूरा समर्थन देते हैं। पिता कृष्णकांत दुबे का कहना है कि वह चाहते हैं कि फाल्गुनी और अन्य बच्चे भी योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। योग को जीवन का हिस्सा बनाना कितना महत्वपूर्ण है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। योग से न केवल शरीर लचीला होता है, बल्कि यह हमारी मानसिक स्थिति को भी मजबूत करता है, जो कि इस तेज-रफ्तार और तनावपूर्ण जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

error: Content is protected !!