168 डिग्रीज, डिप्लोमा-सर्टिफिकेट, शख्स ने तोड़ा अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड

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  • राजस्थान के इस दिव्यांग में शिक्षा की गजब भूख

उदयपुर, राष्ट्रबाण। राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले दिव्यांग डॉ. अरविंदर सिंह ने फिर से इतिहास रच दिया है। उन्होंने 168 डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल करके अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस उपलब्धि ने उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में तीसरी बार जगह दिलाई है। सबसे ज्यादा डिग्रियां, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल कर डॉ. अरविंदर सिंह ने तीसरी बार वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में तीसरी बार अपना नाम दर्ज करवाया है। बता दें कि इससे पहले उन्होंने 123 डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के साथ अपना नाम दर्ज कराया था। वहीं अब अपने ही रिकॉर्ड को ब्रेक कर नई इबारत लिख दी है।

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उम्र से तीन गुना ज़्यादा डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट

डॉ. अरविंदर सिंह के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में तीसरी बार जगह बनाने के बाद उनका राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेम चंद बैरवा ने भी सम्मान किया है। अर्थ ग्रुप के सीईओ डॉ. सिंह की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई भी दी है। उल्लेखनीय है कि डॉ. अरविंदर सिंह की शिक्षा की भूख अद्भुत है। उन्होंने अपनी उम्र से तीन गुना ज़्यादा डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल किए हैं। 1989 से 2024 के बीच उन्होंने मेडिकल साइंस के अलावा मैनेजमेंट, कानून, कॉस्मेटोलॉजी, कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजी और डिजिटल मार्केटिंग में भी महारत हासिल की है। इन 168 डिग्रियों में 94 एकेडमिक और 74 नॉन-एकेडमिक विषय शामिल हैं।

अनेक सम्मान से सम्मानित

हाल ही में उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन और ब्रिटेन की संसद में चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया था। एशिया बिजनेस कॉन्क्लेव, सिंगापुर में उन्हें ‘ग्लोबल मास्टर माइंड’ और भारत में ‘बेस्ट ऑफ 100 इंडियन्स’ के खिताब से नवाजा गया। डॉ. अरविंदर, चिकित्सा विशेषज्ञता, मेडिकल लॉ और बिज़नेस स्किल्स का एक अद्भुत मिश्रण हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा ऑक्सफोर्ड, यूके, अमेरिकन एसोसिएशन, स्वीडन, कनाडा, इजराइल आदि से विभिन्न विषयों में प्राप्त की है।

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किसी से तुलना नहीं करता : सिंह

डॉ. सिंह का पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड 2022 में बना था। जब उन्होंने सबसे ज़्यादा 123 डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल किए थे। अपनी सफलता का राज बताते हुए वे कहते हैं, ‘वे कभी दूसरों के साथ खुद की तुलना नहीं करते, वे खुद के लिए एक बेंचमार्क सेट करते हैं और जैसे ही वह बेंचमार्क अचीव कर लेते हैं। इसके बाद ठहर जाने के बजाए नया बैंच मार्क तय कर लेते हैं। इससे उन्हें न सिर्फ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, बल्कि वे हर दिन कुछ नया सीखते और करते हैं।

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