बालाघाट, राष्ट्रबाण। बालाघाट जिले के लालबर्रा जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत नगर मुख्यालय की ग्राम पंचायत पांढरवानी (लालबर्रा) अंतर्गत ग्राम आमाटोला में स्टाप डेम पुलिया निर्माण भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया है। उक्त स्टाप डेम में पुलिया निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 2 माह पूर्व 14 लाख 49 हजार रुपये की लागत से कराया गया है। ग्रामीण किसानों का कहना है कि उन्होंने स्टाप डेम पुल निर्माण के समय ही सरपंच अनीस खान व रोजगार सहायक एवं प्रभारी सचिव कृष्णा पंचेश्वर को बोला कि यह ढोल पाइप वाला पुल का निर्माण न किया जाये, उसके स्थान पर बीम कालम वाला पुल का निर्माण किया जाये। जिससे बारिश के दिनों में अधिक वर्षा होने से खेतों का पानी न रुके, पानी तेजी से एक तरफ से दूसरी तरफ निकासी हो जाये। जिससे पुलिया के समीप के खेतो की फसल को कोई क्षति न पहुंचे। लेकिन सरपंच ने ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज करते हुए अपनी मनमानी से पुलिया निर्माण निर्माण कर किसानो की परेशानी बढ़ा दी। बारिश होने के कारण अब खेतों में पानी अधिक भरा हुआ है, पानी निकासी नहीं होने की वजह से किसनो की फसल बर्बाद हो रही है। वही बारिश के पानी के तेज वहाव के कारण मिट्टी का कटाव हो चुका है जहां इस रास्ते से आने जाने वाले लगभग 25 किसानों को अपनी आवागमन और कृषि साधन लाने ले जाने में काफी परेशानी हो रही है।
ग्रामीण किसानों का आरोप है कि सरपंच सचिव ने 14 लाख 49 हजार रुपये के पुलिया को पूरे रुपये ना लगाते हुए चार-पांच लाख में बनाकर बाकी रूपयों डकार गए। सरपंच, सचिव और सबइंजीनियर की सांठगांठ से इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। ग्रामीणों ने पुलिया निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर गबन किये पैसे की वसूली की मांग संबंधित अधिकारियों से की है।

सरपंच ने बेच दी 40 ट्रॉली रेत, ग्रामीणों ने लगाए आरोप
ग्रामीणों का आरोप है की सरपंच अनीस खान ने पुल के पास के नाले से ग्रीष्मकालीन मौसम में सरपंच द्वारा यहां की रेत निकाल कर लगभग 40 ट्राली बेच दी। ग्रामीणों द्वारा मना करने पर उल्टा चोर कोतवाल को डांटे कहावत को चरितार्थ करते हुए ग्रामीणों धमकाता गया। यही नहीं पुलिया निर्माण बंद होने के वावजूद इस स्थान पर मजदूरों के फर्जी मस्टरोल भर कर मजदूरों से दूसरे स्थान पर कार्य कराते हुए भुगतान कराया गया। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच सचिव इंजीनियर यहां आकर पुल का निरीक्षण करें और हमें हिसाब दें कि इसमें 14 लाख 49 हजार रुपये की राशि लगाई गई है। यह दो फीट ऊंचा बनाना जाता तो किसानों को बारिश में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। ग्रामीण का आरोप है कि सरपंच सचिव और इंजीनियर के संरक्षण में भ्रष्टाचार कर इस राशि का गोलमाल किया गया है। सरपंच सचिव अपने पद का दुरुपयोग कर अपनी मोनोपल्ली चलाते हुए मनमानी करते हुए इस पुल का निर्माण कराया है।

ग्रामीणों से भेदभाव
ग्रामीण कहते है कि सरपंच अनीस खान ग्रामवासियो के साथ भेदभाव करता है। कहता है कि तुम गौरी भाऊ के आदमी हो भाजपा के आदमी हो। तुम्हे मुझे कुछ कहने का अधिकार नहीं है। सरपंच अनीस शायद यह भूल गए की वह सरपंच पूरी पंचायत के है। उनके लिए ग्राम के सभी ग्रामीण की समस्या एक सामान है। जनता के प्रति यह सौतेला व्यवहार एक सरपंच को शोभा नहीं देता।