चंद्रपुर/यवतमाल, राष्ट्रबाण। कोयले के गोरखधंधे के लेकर रोज नए खुलासे होते हैं। अंत:हीन कहानी की तरह कड़ियां जुड़ती जाती हैं, लेकिन होता कुछ नहीं। बहुत हंगामा मच जाने के बाद कार्रवाई सिर्फ कागजों पर दिखती है। जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है। खदान से निकलने के बाद साइडिंग और कोल वाशरीज में इतने बड़े पैमाने पर मिलावट का खेल चलता है कि उनका स्पष्ट आंकड़ा निकालना मुश्किल हो जाता है।
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बड़ा खेल बदस्तूर जारी
विदर्भ में कोयले का बड़ा खेल बदस्तूर जारी है। अगर हम उल्टे क्रम में कोल वाशरीज से ही शुरुआत करते हैं, तो कोयला नहीं कंपनियों में भेजे जाने के लिए कोयले की राख नजर आती है। इतनी अधिक कि राख के सिवा कुछ नजर नहीं आता। इतने बड़े पैमाने पर कोल वाशरीज में कोल डस्ट के संग्रहण का राज आखिर क्या है। राजदार ही आपस में मिले हुए हैं, इसलिए पूरी कहानी बाहर नहीं आ पाती। महावितरण इसमें सबसे बड़ी किरदार है। इसके अधिकारी ही इस पूरे खेल में सूत्रधार नजर आते हैं। साथ देते हैं उन्हें मलीभगत वाली कंपनियों के अधिकारी। इनकी करनी का फल बिजली उत्पादन इकाईयों को भुगतना पड़ता है।
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बिजली संयंत्र प्रभावित हो रहे हैं
कोलवाशरीज कंपनियां अपने निजी लाभ के लिए बड़ी चालाकी से घटिया दर्जे का कोयला धुलाई कर महाजेनको के बिजली तापघरों को सप्लाई कर रही है, जिससे बिजली संयंत्र तो प्रभावित हो ही रहे हैं, बिजली उत्पादन भी घट रहा है। वहीं, दूसरी ओर, कोलवाशरीज मालिक दिनों-दिन धनवान होते जा रहे हैं।
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हर महीने करोड़ों रूपए के कोयले का हेर-फेर
ऐसे अनेक मामले में यवतमाल और चंद्रपुर जिले के वणी ,घुग्घूस,और पंढर पवनी स्थित कोलवाशरी से खुलेआम कोयला चोरी के आरोप जनप्रतिनिधियों द्वारा लगाए जा रहे हैं। आरोप है कि इन सारे वॉशरियो के सचालोकों द्वारा सरकारी संयंत्रों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने का काम इस कोलवाशरी द्वारा जारी है।
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महाजेनको को करोड़ों रुपए का ठेका
बता दें कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी महाजेनको को बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आवश्यकता होती है। खदानों से निकलने वाले कोयले में मिट्टी मिश्रित होती है, जिसके सीधे इस्तेमाल से बिजली संयंत्रों में गड़बड़ी होकर महाजेनको को करोडों रुपए का नुकसान होने के साथ बिजली उत्पादन ठप होने का खतरा होता है। कुल मिलाकर एक ओर सरकारी बिजली कंपनी कोयला के ग्रेड को उन्नत करने पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो दूसरी ओर वेकोलि एवं महाजनको के उच्चाधिकारी वॉश कोल के नाम पर घटिया कोयला बिजली घरों में पहुंचाकर सरकार को प्रतिदिन कई करोड़ का नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं। कुछ कोल वॉशरी तो कई दिनों से बंद हैं, वहां सिर्फ कोयला स्टॉक किया जा रहा। अच्छे ग्रेड का खुले बाजार में 8 से 9 हजार रुपए टन बेचकर साइडिंग पर भेजने हेतु चारफाइन मिला 3 हजार रुपए टन कोयला महाजेनको को भेजा जा रहा है।
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माफियाओं की बुरी नजर
बता दें कि वेकोलि के चंद्रपुर एवं यवतमाल जिले के वर्धा वैली के वणी एवं वणी उत्तर क्षेत्र साथ ही बल्लारपुर में चारों ओर ब्लैक डायमंड का असीमित भंडार भरा हुआ है, जिसके चलते काला सोना अर्थात कोयले पर कोल व्यापारियों और कोल माफिया की नजर गड़ी ही रहती है। चंद्रपुर जिले के घुग्गुस, बल्लारपुर, सास्ती एवं वणी में स्थित कोल वाशरी में कोयले को वॉश करने के बाद वणी, राजुरा एवं घुग्गुस की साइडिंग से महाजेनको को पहुंचाने का काम पिछले 8-9 माह से किया जा रहा है। लेकिन इसकी आड़ में कम्पनी के नुमाइंदे कोयले में मिलावट करने के बाद पॉवर प्लांट पहुंचा रहे हैं, जबकि अच्छे ग्रेड का कोयला रोजाना राज्य के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है, इतना ही नहीं तो वणी मंडी, नागाला प्लॉट व कम्पनियों का कई वर्ष से पड़ा बैड मटेरियल घटिया कोयले को यहां पर बुलाया जाता है और फिर मिश्रित कर महाजेनको के लिए रवाना किया जाता।
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फ़सल की पैदावार में गिरावट
कोयले की वाशरी (जहाँ कच्चे कोयले को बिजली संयंत्रों में भेजने से पहले उसका उपचार किया जाता है) की वजह से कृषि क्षेत्र में ख़तरा पैदा हो रहा है, जहाँ पिछले एक साल से फ़सल की पैदावार में गिरावट देखी जा रही है। ग्रामीण आबादी इसके विनाशकारी परिणामों से पीड़ित है – कोयले की धूल से ग्रामीणों की फ़सलें और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं। स्थानीय किसान कहते हैं, “जब से वाशरी फिर से शुरू हुई है, कोयले की धूल हमारी फ़सलों के फलों और पत्तियों पर जम रही है, जिससे उपज की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित हो रही है। साथ ही, हमारी कृषि उपज में 75% की गिरावट आई है।” खदानों से निकलने वाला कोयला, जिसे बिना ढके ट्रकों में लाया जाता है और अनिवार्य परिवहन मानदंडों का पालन किए बिना, वाशरी में डंप किया जा रहा है। कोयले का 20-22 फीट ऊंचा ढेर बिना किसी ढके या अन्य एहतियाती उपायों के पूरी तरह से खुला पड़ा है। ग्रामीण कहते हैं कि चूंकि कोयले को बिना ढके रखा जाता है, इसलिए ऐसा एक भी सेकंड नहीं होता जब हमारे आस-पास की हवा प्रदूषित न हो।
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महाजेनको के वरिष्ठ अधिकारियों की हिस्सेदारी
इस गोरखधंधे में महाजेनको के वरिष्ठ अधिकारियों की भी कुछ हिस्सेदारी बताई जा रही है। यह वरिष्ठ अधिकारी अपनी कंपनी के प्रति वफादारी निभाने के बजाय अपना घर भर रहे हैं। इस तरह सरकारी कंपनी को सरेआम पूरी तरह से लूटा जा रहा है। अच्छे कोयले को खुलेआम बाजार में विक्री से सरकारी कंपनी को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान होता नजर आ रहा है और शासन का करोड़ों का राजस्व खुले बाजारों में अधिक दामों में बेचा जा रहा है।
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हम हर बार जानकारी प्राप्त होने पर कार्यवाई करते हैं .चारफाइन ,डस्ट,डोलाचार जैसी तत्व कोयले में मिलावट की अनुमति नहीं.हमे सूचना मिली हैं और इसी सूचना के आधार पर हम जल्द ही बड़ी कार्यवाई भीं करेंगे
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बहादुले, एम.पी.सी.बी उप प्रादेशिक अधिकारी