सिवनी, राष्ट्रबाण। जिले की नगरपालिकाओं में भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। छपारा और लखनादौन नगर परिषदों में भाजपा अध्यक्षों के रहते भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर, सिवनी नगरपालिका में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष शफीक खान को फर्जी शिकायतों के आधार पर पद से हटाए जाने का आरोप सामने आया है।
भ्रष्टाचार की शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नहीं
सूत्रों के अनुसार, छपारा और लखनादौन नगर परिषदों में भारी गड़बड़ियों और फर्जी बिलों के भुगतान की शिकायतें स्वयं निर्वाचित पार्षदों ने जिला कलेक्टर, नगरीय प्रशासन विभाग और मुख्यमंत्री तक से की थीं। लेकिन इन शिकायतों पर न तो कोई जाँच हुई और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई।
सिवनी में अध्यक्ष को हटाया गया, बाकी बचे मुक्त
वहीं सिवनी नगरपालिका, जहाँ अध्यक्ष पद कांग्रेस के शफीक खान के पास था, वहाँ पर कथित रूप से राजनीतिक दबाव में आकर नगरीय प्रशासन विभाग ने कार्रवाई करते हुए केवल अध्यक्ष को पद से हटा दिया। जबकि भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल बताए जा रहे मुख्य नगरपालिका अधिकारी, उपयंत्री, तकनीकी अमले, लेखा शाखा, निविदा समिति और परिषद के अन्य सदस्यों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है, “क्या किसी भी नगरपालिका में अध्यक्ष अकेले भ्रष्टाचार कर सकता है? जब तक फाइलें लिपिक, इंजीनियर, सीएमओ और समिति से होकर नहीं गुजरतीं, तब तक अध्यक्ष सिर्फ हस्ताक्षर करता है। फिर एकतरफा कार्रवाई क्यों?”
छपारा में ईमानदारी की सज़ा: अधिकारी को हटाया गया
छपारा नगर परिषद में मामला और उलझा हुआ है। वहाँ मुख्य नगरपालिका अधिकारी श्याम गोपाल भारती ने फर्जी बिलों के भुगतान से इनकार कर दिया, जिसके चलते नाराज भाजपा पार्षद और अध्यक्ष भोपाल जाकर नगरीय प्रशासन मंत्री, प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री से मिले और उनका स्थानांतरण करवा दिया गया।
सिवनी में भी दबाव: सीएमओ के तबादले की मांग तेज
सिवनी नगरपालिका में कार्यरत मुख्य नगरपालिका अधिकारी को हटाने के लिए भी अब राजनीतिक स्तर पर प्रयास तेज हो गए हैं। जानकारी के अनुसार, सीएमओ ने दलसागर तालाब में लगाए गए लाइट, फाउंटेन और साउंड सिस्टम का करीब ₹2 करोड़ का भुगतान करने से इंकार कर दिया है, क्योंकि कार्य निविदा व अनुबंध के अनुरूप पूर्ण नहीं हुआ है। इसके बाद से राजनीतिक दबाव और तबादले की मांग तेज हो गई है।
भ्रष्टाचारियों को संरक्षण, ईमानदार अधिकारी परेशान
स्थानीय लोगों और विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा सरकार में वही अधिकारी टिकते हैं जो नेताओं के आदेश पर चलते हैं। जो ईमानदारी से काम करते हैं, उन्हें या तो हटा दिया जाता है या तबादला कर दिया जाता है। इसका ताजा उदाहरण आदिम जाति कल्याण विभाग में सहायक आयुक्त की पुनः वापसी को बताया जा रहा है, जिनका वर्षों से एक ही विभाग और जिले में जमे रहना कई सवाल खड़े करता है।
सिवनी जिले में भ्रष्टाचार को लेकर दोहरी नीति और राजनीतिक संरक्षण की स्थिति सामने आ रही है। जहाँ एक ओर ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक छत्रछाया प्राप्त है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इन गंभीर आरोपों पर कोई निष्पक्ष जांच कराएगी, या फिर यह मामला भी बाकी शिकायतों की तरह दफन कर दिया जाएगा।