Bihar SIR: तेजस्वी यादव ने उछाला नया बम, सांसद वीणा देवी के 2-2 वोटर ID कार्ड का चौंकाने वाला खुलासा

Rahul Maurya

Bihar SIR: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने वैशाली की सांसद वीणा देवी पर दो वोटर आईडी कार्ड रखने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन दो वोटर आईडी में सांसद की उम्र भी अलग-अलग दर्ज है। इस खुलासे ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।

सांसद वीणा देवी पर गंभीर आरोप

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि वैशाली से एनडीए सांसद वीणा देवी के पास दो अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड हैं। इनका पहला एपिक नंबर UTO1134543 और दूसरा GSB1037894 है। तेजस्वी के मुताबिक, ये दोनों वोटर आईडी दो अलग-अलग जिलों और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़े हैं। हैरानी की बात यह है कि दोनों कार्डों में वीणा देवी की उम्र अलग-अलग बताई गई है। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि आखिर चुनाव आयोग ने इस गड़बड़ी को कैसे नजरअंदाज कर दिया।

चुनाव आयोग पर तेजस्वी का हमला

तेजस्वी यादव ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान वीणा देवी ने दो अलग-अलग गणना फॉर्म भरे होंगे और अलग-अलग हस्ताक्षर किए होंगे, जिन्हें आयोग ने प्रमाणित किया। तेजस्वी ने पूछा कि दो अलग-अलग वोटर आईडी कैसे बन गए और क्या यह सत्ताधारी गठबंधन को फायदा पहुंचाने की साजिश है। उन्होंने चुनाव आयोग को ‘ट्रोल आयोग’ तक कह डाला और मांग की कि इस मामले में सांसद को दो अलग-अलग नोटिस जारी किए जाएं।

पहले भी उठ चुके हैं ऐसे सवाल

यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया है। इससे पहले उन्होंने मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी पर भी दो वोटर आईडी रखने का आरोप लगाया था। उनके दावे के अनुसार, मेयर के दो एपिक नंबरों में उनकी उम्र 48 और 45 वर्ष दर्ज थी। इसके अलावा, मेयर के देवर के पास भी दोहरे वोटर आईडी होने की बात सामने आई थी। इन आरोपों के बाद जिला चुनाव आयोग ने मेयर को नोटिस जारी किया था। तेजस्वी का कहना है कि ऐसी गड़बड़ियाँ मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।

SIR पर विपक्ष का हंगामा

बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। राजद और कांग्रेस जैसे दल इसे सत्ताधारी गठबंधन के पक्ष में मतदाता सूची को प्रभावित करने की कोशिश बता रहे हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ हो रही हैं, जिससे लाखों मतदाताओं के नाम कटने का खतरा है। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मुद्दे पर सुनवाई चल रही है, जहाँ विपक्ष ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने सफाई दी है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता के लिए जरूरी है।

क्या होगा आगे?

चुनाव आयोग ने बिहार में 7.24 करोड़ मतदाताओं के गणना फॉर्म प्राप्त होने की बात कही है, लेकिन 65 लाख नाम हटाए जाने की संभावना ने विवाद को और हवा दी है। तेजस्वी के ताजा खुलासे ने इस मुद्दे को और गर्मा दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या वीणा देवी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी। बिहार की सियासत में यह मुद्दा विधानसभा चुनाव तक चर्चा का केंद्र बना रहेगा।

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