बालाघाट, राष्ट्रबाण। पंकज उदास की एक गजल इन दिनों बालाघाट के सुराप्रेमियो के लिए बहुत सटीक बैठ रही है। हुई महंगी बड़ी शराब की थोड़ी-थोड़ी पिया करो। जी हां हम बालाघाट जिले की बात कर रहे है जहां शराबियो के लिए शराब की कीमतों की उछाल के कारण उनका बजट लड़खड़ा गया है।
वैसे तो मप्र का बालाघाट जिला नियम विरूद्ध कार्यो के लिये खूब बदनाम है। यहां पूर्व में नकली खाद, नकली बीज, नकली तेल, नकली दवाईयां व नकली शराब जैसे कारनामे सुर्खियो में रह चुके है। जिनके खिलाफ दिखावे की कार्यवाही करके जिला प्रशासन हमेशा इतिश्री कर लेता है, लेकिन आमजन के साथ हो रहे छलावे का सिलसिला कभी कम नही हुआ।
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बालाघाट जिले में हर प्रकार के खाद्य वस्तुओं का व्यापार होता है। चाईनिस भोजन से लेकर कोल्ड्रिंक जैसे उत्पाद यहां खूब बेचे जाते है। लेकिन उनकी गुणवत्ता की जांच परख तभी होती है, जब कोई आम नगरिक किसी तरह से बिमारी का शिकार हो जाता है। इसके अलावा किमती शराब पीनो वालो की भी यहां कोई कमी नही है। यहां के सूराप्रेमी महुआ पानी याने महुआ शराब,अग्रेजी शराब और देशी शराब का शौक भी रखते है। लेकिन इसी शौकबाजी के चलते उन्हे खूब छला भी जाता है। स्वादहीन शराब के साथ साथ अधिक दाम में शराब की ब्रिकी करने का यहां कारोबार ठेकेदारो के द्वारा खूब चलाया जाता है, जिस पर किसी की कोई नजर नही होती।
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पिछले माह ही शासन की ओर से शराब नीति के तहत नये टेंडर करवाये गये है और इस बार अलग अलग समूह को टेंडर मिला है। जहां बालाघाट शहर में सोम कंपनी के समूह को शराब दुकानो का टेंडर मिला है। जिसके मैनेजर बनकर शराब ठेकेदार बंटी गोस्वामी जिले की शराब दुकानो का कार्य देख रहे है। लेकिन उनकी मनमानी के चलते सुराप्रेमीयों के साथ लगातार छलावा हो रहा है। जब से नये टेंडर हुए है तब से शराब के दामो में बढौतरी हुई है। लोग अलग अलग ब्रांड वाली शराब के दाम सुनकर आश्चर्य चकित हो रहे है। लेकिन हैरत की बात यह है कि शराब के बढे हुए दामो की बात तो अलग रही, यहां वास्तव में अधिक दाम में शराब बेची जा रही है।
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सुराप्रेमियो समेत अन्य सुत्रो की माने तो सोम कंपनी के मैनेजर बंटी गोस्वामी के द्वारा प्रिंट रेट (एमआरपी) से भी अधिक दाम में शराब विक्रय करवाई जा रही है। जहां लोगो का कहना है कि अधिक मुनाफ कमाये जाने के लिये ही शराब दुकानो के द्वारा अभी से ही मंहगे दाम में शराब बेची जा रही है। जहां शराब उपभोक्ताओं से प्रिंट रेट से लगभग 50 रूपये अधिक राशि वसूली जा रही है। फिर भी विभाग की ओर से ऐसे शराब कारोबारियों पर कोई कार्यवाही नही की जाती। इस मामले में संबधित विभाग के अधिकारीयों का चप्पी साधे रहने भी संदेहस्पद लगता है और शायद ठेकेदार के द्वारा उन्हे मौन रहने के लिये ही मोटी रकम की चढौतरी दी जा रही हो? जिस कारण विभागीय अमला जानकारी होने के बाद भी अनजान बन रहा है। जबकि निर्धारित शराब नीति के तहत शराब की बोतल में प्रिंट एमएसपी रेट से अधिक और एमआरपी रेट से कम दाम में ही शराब बेची जा सकती है। लेकिन सोम कंपनी के मैनेजर के द्वारा एमआरपी की सीमां लाघंकर लगभग 50 रूपये अधिक दाम में शराब का विक्रय किया जा रहा है, जो इन दिनो सुराप्रेमियों का काफी खल रहा है। यदि ऐसे ही चलता रहा है, लोगो का महुआ शराब की ओर रूझान बढने लगेगें और वे कई घातक बिमारीयों के शिकार होगें। इसके आलावा इधर मैनेजर के कारण सोम कपंनी को भी बडी नुकसानी उठानी पड सकती है।