बालघाट, राष्ट्रबाण। जिला अस्पताल बालाघाट में मरीजो के साथ साथ यहां आउटसोर्स के तहत रखे गये कुछ कर्मचारी भी शोषण का शिकार हो रहे है। जिनकी समस्याओं व आपत्तियों पर कोई कार्यवाही नही होती। यदि वे अपने अधिकार को लेकर आवाज उठाते है, तो ठेकेदार के द्वारा उनकी आवाज को दबाने का काम किया जाता है।
दरअसल, जिले में संचालित शासकीय अस्पताल में टेंडर लेकर ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव द्वारा आउटसोर्स के तहत आधा सैकडा से अधिक कर्मचारियों की स्वास्थय विभाग में नियुक्ति की गई है। जिनमें कुछ कम्प्युटर ऑपरेटर की पोस्ट पर है तो कुछ सुरक्षा गार्ड तो कुछ भृत्य की पोस्ट पर पदस्थ किये गये है। इस तरह लगभग 50 से 60 कर्मचारी आउटसोर्स के तहत लगाये गये है। लेकिन लगभग 04 सालो से ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव के द्वारा इन सभी कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। आलम यह है कि आउटसोर्स में लगे एक भी कर्मचारी अपनी परेशानी किसी से साझा नही कर सक रहे है। जिसका सबसे बडा कारण यह है कि ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव उन्हे काम से निकाल देता है। ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव एक बडी पार्टी से भी संबंध रखते है। साथ ही पूर्व सरकार में आयुषमंत्री रहे रामकिशोर कावरें जो कि वर्तमान में भाजपा जिलाध्यक्ष भी है, उनके बेहद करीबी है।
सुत्रो की माने आउटसोर्स में लगे कर्मचारियों में कम्प्युटर ऑपरेटर को पूरा-पूरा वेतन नही दिया जा रहा है। जबकि ठेकेदार के द्वारा जब अनुबंध किया गया था तब उसने नियम अनुसार प्रत्येक कम्प्युटर ऑपरेटर को प्रत्येक माह मासिक वेतन के रूप में 10 हजार 500 रूपये देने की बात लिखी थी। लेकिन अनुबंध के विपरित जाकर उन्हे महज 05 से 06 हजार रूपये प्रतिमाह ही दिया जा रहा है। अब ऐसे में कम्प्युटर ऑपरेटर के सामने घर परिवार चलाने की समस्या खडी हो गई है। सुत्रो की माने तो आउटसोर्स में लगे जितने भी कम्प्युटर ऑपरेटर है, समय पर वेतन और पूरा ना मिलने की वजह से दो जून की रोटी के लिये उधार पैसे लेकर परिवार व अपनी जरूरतो को पूरी करने मजबूर हो रहे है। साथ ही साथ कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे है। ऐसे में जहां एक ओर जिला अस्पताल की पूरी जिम्मेंदारी, तो वही कर्ज का बोझ उन्हे सताने लगा है। विभागीय सुत्रो की माने तो कुछ ऐसा ही रवैया ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव के द्वारा सुरक्षागार्ड व भृत्यो के साथ भी किया जा रहा है। जिन्हे समय पर वेतन नही दिया जा रहा है। अगर कोई शोषित कर्मचारी इनके खिलाफ शिकायत करता है या विरोध करता तो उसे ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव के द्वारा काम से निकाल दिया जाता है या फिर उसे धौंस दिखाकर चुप करवा दिया जाता है।
विभागीय सुत्रो की माने तो आउटसोर्स में लगे कर्मचारियों को कम वेतन देने के पीछे बडा भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। जिसका हिस्सा जिला अस्पताल के सीएचएमओ से लेकर कलेक्टर तक को पहुंचाया जाता है। जिसके चलते ही ठेकेदार के खिलाफ हुई शिकायतो पर कोई कार्यवाही नही होती और ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव के द्वारा भी कर्मचारीयों को यह कहते हुए धमकी दी जाती है कि मेरे द्वारा सीएचएमओ व कलेक्टर को हिस्सा पहुंचाया जाता है, सबको मैनेज करना पडता है, अब जिससे जो बनता है, वह कर ले? ऐसा कहते हुए निषिद श्रीवास्ताव के द्वारा कर्मचारीयों को खुले शब्दो में धमकी भी दी जाती है।
मूक जानवर की तरह तमाशबीन बने सीएचएमओ
स्वास्थ्य विभाग की निगरानी मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी की होती है। विभाग में हो रही अनियमितता, भ्रष्टाचार और शोषण की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के मुखिया को होनी चाहिए और इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को न हो यह संभव नहीं है। विभागीय सूत्रों की माने तो ठेकेदार निषिद श्रीवास्तव को सीएसएमओ डॉ. मनोज पांडे का संरक्षण है यही वजह है की कर्मचारियों के शोषण मामले की जानकारी होने के पश्चात मनोज पांडे हो रहे कर्मचारियों के शोषण पर मूक जानवर की तरह तमाशबीन बने हुए है।
कलेक्टर साहब अब तो मौन तोड़ो !
कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा अब तक के सबसे सुस्त कलेक्टर माने जाते है, इनके शासन में भ्रष्टाचारियो के हौसले बुलंद है। अधिकारी, ठेकेदार और नेताओ ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान लिया है। आम जनता, विभाग के कर्मचारी बड़ी ही उम्मीद और आशा से अपने साथ या समाज में हो रहे गलत काम, भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में शिकायत करता है लेकिन ये शिकायते कलेक्टर कार्यालय के फाइल में धूल खाती रह जाती है। जानकारों की माने तो आऊट सोर्स कर्मचारियों द्वारा अपने साथ हो रहे शोषण की शिकायत जिला कलेक्टर गिरीश मिश्रा को भी की है लेकिन कलेक्टर द्वारा उस शिकायत में कोई एक्शन नहीं लिया गया है। जिसके चलते ठेकेदार द्वारा अब भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का शोषण बरकार है।