धार, राष्ट्रबाण। कहते हैं भगवान की जिस रूप में पूजा जाए वह प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए कहते हैं कि “मानो तो पत्थर नही तो देव”। लेकिन मध्यप्रदेश के धार में एक अलग ही मामला सामने आया है। यहां कई सदियों से कुछ लोग अपने कुलदेवता की पूजा जिस पत्थर को मानकर कर रहे थे वह डायनासोर का अंडा निकला। अब कुछ वैज्ञानिकों ने जब जांच की तो सच्चाई सामने आई और लोग हैरान रह गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक पांडलया गांव के वेस्ता मांडलोई इन गोलकार पत्थर जैसे वस्तु की ‘काकर भैरव’ के रूप में पूजा कर रहे थे। उनके घर में यह परंपरा पूर्वजों के दौर से ही चली आ रही थी जिसका वह भी पालन कर रहे थे। उनका मानना है कि ये कुलदेवता खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं और उन्हें संकट से बचाते हैं। ‘काकर’ का मतलब है कि खेत और ‘भैरव’ देवता हैं। मांडलोई की तरह उनके गांव के बहुत से लोग इस तरह की आकृति की पूजा कर रहे थे, जो उन्हें धार और आसपास के इलाकों में खेती के दौरान खुदाई में मिले थे। हालांकि, अब नए तथ्य सामने आने के बाद लोग दुविधा में हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वह देवता समझकर पूजा कर रहे थे और करते रहेंगे।
कैसे सामने आई जानकारी..
दरअसल लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक हाल ही में धार पहुंचे। डायनासोर के इतिहास और मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र में उनके अवशेष का पता लगाने पहुंची टीम को पता चला कि यहां खेतों में लोगों को गोलाकार वस्तु मिली थी जिसकी लोग पूजा करते हैं। वैज्ञानिकों ने जब इनकी जांच को तो पता चला कि असल में ये डायनासोर के अंडे हैं।