भाजपा अध्यक्ष को लेकर मंथन तेज, 2 विकल्पों पर विशेष चर्चा…

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  • विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए, या अगले साल नए अध्यक्ष की घोषणा हो

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। दिल्ली में रविवार देर रात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नेताओं की बैठक हुई। 5 घंटे चली इस बैठक में भाजपा के नए अध्यक्ष पर मंथन चर्चा हुई। बैठक में राजनाथ के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले और आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार मौजूद थे।

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आरएसएस की दो टूक

रिपोर्ट के मुताबिक, नए अध्यक्ष को लेकर दो बातों पर चर्चा हुई। पहला- जल्द ही कोई कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए, उसे ही बाद में अध्यक्ष का जिम्मा मिले। दूसरा- महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनावों के बाद नए कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा हो। आरएसएस ने साफ कहा कि भाजपा के अगले अध्यक्ष का नाम हमसे विचार-विमर्श के बगैर फाइनल न किया जाए। 31 अगस्त से 2 सितंबर तक केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। वहां भी इस पर मंथन हो सकता है।

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नड्डा बनाए गए हैं मंत्री

जेपी नड्डा जून 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 20 जनवरी 2020 को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए गए। इसी साल फरवरी में उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था। लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार 3.0 में उन्हें स्वाथ्य मंत्री बनाया गया था। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। इसलिए नड्डा को अध्यक्ष पद छोड़ना है।

भाजपा में अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया

भारतीय जनता पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पार्टी के संविधान में स्पष्ट निर्देश हैं। पार्टी के संविधान की धारा-19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था की गई है। धारा-19 के मुताबिक, पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य होंगे। पार्टी के संविधान में कहा गया है कि यह चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक किया जाएगा।

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सबसे अहम शर्त

अध्यक्ष चुने जाने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहा हो। धारा-19 के पेज में ही यह लिखा गया है कि निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखेंगे। यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 ऐसे प्रदेशों से भी आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों। इसके अलावा इस तरह के चुनाव के लिए नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति भी जरूरी है। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50% यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है।

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