ग्वालियर, राष्ट्रबाण। कई वर्षों से जेल की सजा काट रहा है 21 बंदियों को स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में रिहा कर दिया गया है।ग्वालियर में 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर केंद्रीय जेल बंदियों को रिहाई दी गई है। यह रिहाई जेल प्रशासन की अनुशंसा के बाद शासन के आदेश पर की गई है, तो वहीं जेल से रिहा हुए बंदियों में एक महिला बंदी भी शामिल है। रिहा हुए 19 बंदी ऐसे भी है जिन्होंने 14 से 18 साल तक जेल में व्यतीत कर लिए थे। इन बंदियों को जेल प्रशासन ने जेल में किए गए कार्य का मेहनताना, शॉल, श्रीफल और माला पहनाकर विदा किया। जेल की चार दीवारी से बाहर आते अपनों को देख बंदियों की आंखें नम हो गईं। ग्वालियर की केंद्रीय जेल से प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर अच्छे आचरण के चलते कैदियों को रिहा किया जाता है। 76 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे महिला बंदी सहित 21 बंदियों को सरकार की मुहर लगने के बाद छोड़ा गया है। वहीं छोड़े गए 21 बंदियों में से 2 बंदी ऐसे भी छोड़े गए हैं विनय कोर्ट ने कम सजा सुनाई थी, लेकिन इन बंदियों के जेल में अच्छे आचरण के चलते छोड़ा गया है। जेल से रिहा हुए कैदियों से जब चर्चा की तो जेल से रिहा हुए बंदी शंकर सिंह का कहना था कि जमीन के विवाद के कारण हत्या कि थी, और 23 साल से ज्यादा की सजा काटने के बाद वह छूट गए हैं। इस दौरान उन्होंने अपना बहुत कुछ खोया है पर अब घर जाकर अपनी खेती बाड़ी और घर परिवार को देखेंगे। इसी प्रकार भगवान सिंह ने बताया है कि 302 के आरोप में 15 साल से जेल में सजा काट रहा था। भगवान शिव का कहना था कि उन्होंने आवेश में आकर रंगीन अपराध किया था इस कारण ने अपने परिवार से दूर रहना पड़ा।
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अलग-अलग मामलों में काट रहे थे सजा..
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जेल प्रबंधन विदित सरवइया ने बताया है कि स्वतंत्रता दिवस पर जेल से एक महिला बंदी सहित 19 बंदियों को रिहा किया गया है। यह सभी बंदी पारिवारिक और जमीन के विवाद के चलते 302 हत्या के आरोप में जेल में बंद थे, वही दो कैदी ऐसे भी हैं जिन्हें कम सजा हुई थी जिन्हें उनके अच्छे आचरण के चलते छोड़ा गया है।
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सभी बंदियों को रिहाई से पहले दिलाया गया संकल्प..
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हत्या के आरोप में जेल से रिहा हुए बंदियों को जेल प्रबंधन विदित सरवइया ने माला पहनाकर भोजन के पैकेट और मेहनताना देकर विदा किया है। साथ ही उन्हें संकल्प दिलाया कि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर जीवन यापन करेंगे। जेल से रिहा होने पर बंदियों के चेहरे पर घर जाने की खुशी नजर आ रही थी।