नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। दिल्ली में बीते दिनों से अवैध निर्माण पर बुलडोजर की कार्यवाही जारी है। ऐसे में अवैध निर्माण कर कब्जाधारियों द्वारा हाईकोर्ट को शरण ली गई है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपनी प्रतिक्रिया जाहीर की है। कोर्ट ने कहा है कि अवैध निर्माण की स्थिति दिल्ली में ऐसी है कि कोई इंडिया गेट को भी खरीदकर वहां घर बना लेगा। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा ने स्पेशल टास्क फोर्स की ओर से द्वारका समेत कई इलाकों में चल रहे धस्वतीकरण कार्रवाई पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। बिल्डर्स और प्रभावित संपत्ति मालिकों ने अलग-अलग याचिका दायर करते हुए तुरंत कार्रवाई रोकने का आदेश देने की गुजारिश की थी। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं का हवाला देते हुए बीएसईएस से बिजली आपूर्ति बहाल कराने की भी मांग की गई थी। हालांकि, बेच सहमत नहीं हुआ और ऐसे दस्तावेजी सबूतों की मांग की जो साबित करें कि निर्माण वैध है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘यह सच में गजब है कि लोग पहले कानून तोड़ते हैं और फिर कोर्ट चले आते हैं। आप साफ हाथ के साथ नहीं बल्कि सने हुए हाथ लेकर आए हैं। स्थिति ऐसी है कि कोई इंडिया गेट को खरीद सकता है और वहां घर बना लेगा। आज पूरा शहर रहने लायक नहीं बचा।’ जब बिल्डर्स की तरफ से वकील ने कोर्ट से हस्तक्षेप करते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की तो अदालत ने कहा, ‘मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ। आपने पैसे लिए और चले गए। जो आपने किया है वह बहुत गलत है। हमें सेंक्शन प्लान दिखाए, कुछ ऐसा दिखाइए जिसके आधार पर हम कार्रवाई रोक सकें।’
बुलडोजर पर रोक लगाने हाईकोर्ट की टिप्पणी, बिल्डर्स के वकील को कहा- मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ
