कटंगी, राष्ट्रबाण। कटंगी के तमाम सरकारी स्कूलों में गणवेश वितरण में खामियां सामने आ रही है। जहां विद्यार्थियों का बिना नाप लिए ही गणवेश बांट दी गई है। जिस कारण किसी विद्यार्थी को छोटी तो किसी को बड़ी गणवेश मिल गई है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पंचायत आंजनबिहरी सरपंच और पठार संघर्ष समिति संयोजक दीपक पुष्पतोड़े ने गणवेश वितरण की जांच कराने की मांग उठाई है। दरअसल, गणवेश वितरण में गड़बड़ी का मामला पूरे विकासखंड कटंगी सहित बालाघाट जिले में छाया हुआ है। गणवेश मिलने पर जहां बच्चे खुश होकर अपने घर जा रहे है। मगर वह जैसे ही अपने घर में पहुंचकर नए कपड़े खोलकर देख रहे है तो उन्हें हताशा मिल रही है। दरअसल, कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक जिसमें पांचवीं और आठवीं के विद्यार्थियों को छोड़कर सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों स्कूल से गणवेश बांटी गई है। इनमें से अधिकांश विद्यार्थियों को छोटी या बड़ी गणवेश दी गई है। जिस कारण बड़ी संख्या में विद्यार्थियों इनका उपयोग नहीं कर पा रहे है।
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ठेकेदार ने काटकर भेजे औसत माप के कपड़े
मिली जानकारी अनुसार विद्यार्थियों को बांटे गई ड्रेस मध्यप्रदेश आजीविका मिशन द्वारा संचालित स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सील कर तैयार की है। मगर, समूह की महिलाओं को ठेकेदार ने औसत माप के कपड़े काटकर भेजे थे। जिस कारण जब बच्चों की ड्रेस बनकर तैयार हुई तो किसी को छोटी तो किसी को बड़ी ड्रेस मिल गई। जिस कपड़े से स्कूली विद्यार्थियों की ड्रेस तैयार की गई उस कपड़े की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है। बता दें कि विद्यार्थियों के गणवेश वितरण में यह कोई बार गड़बड़ी की शिकायत सामने नहीं आ रहे है इसके पहले भी हर साल इस तरह की शिकायतें सामने आती है लेकिन कभी जांच नहीं होती। बताया जाता है कि जिस ठेकेदार को गणवेश वितरण का ठेका मिला है उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। सत्ताधारी नेताओं के करीबी होने के कारण ठेकेदार अपनी मनमानी करते है और कोई जांच नहीं होती और आखिरकार गरीबों के बच्चों को गणवेश वितरण के नाम पर घटिया कपड़े बांट दिए जाते है।
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स्व-सहायता समूह की महिलाएं हो रही परेशान
सरकारी स्कूल में गणवेश का वितरण होने के बाद मध्यप्रदेश आजीविका मिशन द्वारा संचालित समूह की महिलाओं को लिए परेशानी खड़ी हो गई है। अभिभावक समूह पर घटिया गणवेश वितरण का आरोप लगा रहे है। अभिभावकों को इस बात की जानकारी नहीं है कि समूह ने तो केवल कपड़ों की सिलाई की है कपड़ा और इसकी कटाई तो ठेकेदार ने अपने मनमुताबिक की है। जिस कारण यह नौबत आई है। अब जब विद्यार्थियों को ड्रेस छोटी और बड़ी हो रही है तो अभिभावक समूह की महिलाओं और स्कूल के शिक्षकों से शिकायत कर रहे है। जिसके बाद समूह की महिलाएं और आजीविका मिशन के अधिकारी ठेकेदार से चर्चा कर समस्या से अवगत करा रहे है किंतु फिर भी समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है। ज्ञात रहे कि नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होने से पहले ही स्कूली विद्यार्थियों को ड्रेस का वितरण शुरू हुआ है और आज भी विद्यार्थियों को ड्रेस वितरित किए जाने का क्रम जारी है परंतु जो समस्याएं सामने आ रही है उनका निराकरण नहीं किया जा रहा है।
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17 समूहों को गणवेश वितरण की है जिम्मेदारी
मिली जानकारी अनुसार मध्य प्रदेश आजीविका मिशन के तहत कटंगी ब्लॉक में संचालित 17 समूह की महिलाओं को गणवेश तैयार कर स्कूलों को वितरण करने की जिम्मेदारी मिली हुई है। करीब 20 हजार से अधिक गणवेश वितरीत की जानी है और अब तक 17950 गणवेश का वितरण हो चुका है इस बीच जिन बच्चों को छोटी या बड़ी गणवेश मिली है उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है। बहरहाल, गरीबों के बच्चों को जो ड्रेस मिली है उनकी जांच की दिशा में कोई कार्यवाही होते नहीं दिख रही है। बता दें कि पहले बच्चों के खातों में 2 जोड़ी गणवेश के लिए 6 सौ रुपए की राशि दी जाती थी तो कुछ अभिभावक अपने पास से अतिरिक्त पैसे लगाकर अच्छे कपड़ों की गणवेश बना लेते थे जबकि कुछ अभिभावक गणवेश की राशि को अन्य काम में खर्च कर देते थे। इस तरह की शिकायतों को देखते हुए सरकार ने गणवेश वितरण का ठेका दे दिया जिसमें अब भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायतें आ रही है जिनकी जांच नहीं हो रही है।