MP News : मौत को आमंत्रण दे रहा छिंदवाड़ा मार्ग, पूर्व जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

Rashtrabaan

सिवनी, राष्ट्रबाण। सिवनी से छिंदवाड़ा राजमार्ग डामरीकरण होने के कुछ माह के भीतर ही बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। अनेकों जगह जहां सड़क उधड गई है वहीं अनेक स्थान पर जानलेवा बड़े-बड़े गड्ढे भी बन गए हैं। यह पूरा मार्ग निर्माण एजेंसी के अपराधिक भ्रष्टाचार और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के चलते जानलेवा दुर्घटनाओं का मार्ग बन गया है। जबकि इस मार्ग में आवा गमन के लिए आम जनों से टोल टैक्स भी वसूला जा रहा है।

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सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष /प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य म.प्र.भाजपा सुजीत जैन द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव एवं लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह को पत्र लिखा गया। श्री जैन ने इस मार्ग की दुर्दशा का विस्तृत विवरण उल्लेख करते हुए कहा कि, निर्माण एजेंसी और संबंधित अधिकारियों की मिली भगत के चलते इस मार्ग की बुरी तरह दुर्दशा हो गई है। दुख की बात है कि एक और जहां प्रदेश की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार पूरी सक्रियता से जुटी हुई है और जिसमें निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान देने के साथ ही पारदर्शिता का भी ध्यान रखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ निर्माण कार्यों में संलग्न ठेकेदार और अधिकारी भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसके चलते सरकार और संगठन की छवि भी खराब हो रही है।

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छिंदवाड़ा मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त दुर्घटनाओं को दे रहा आमंत्रण।

सुजीत जैन ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री को बताया कि, इस मार्ग में आवागमन करने वाले अनेकों नागरिकों ने उनसे इस मार्ग की दुर्दशा के बारे में अवगत कराया एवं तत्पश्चात मेंने स्वयं सिवनी से छिंदवाड़ा तक उसे मार्ग का दौरा करने के पश्चात यह पाया कि उक्त सड़क के निर्माण कार्य मे किया गया। भृष्टाचार ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रदेश सरकार को चुनौती देता प्रतीत होता है। इस मार्ग में हुए भ्रष्टाचार की शीघ्र और सघन जांच की जाकर संबंधित ठेकेदार और अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।

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इसके साथ ही श्री जैन ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि, तत्कालीन उपयोग हेतु इस मार्ग का शीध्र जीर्णोद्धार के साथ ही दीर्धकालीन उपयोग हेतु उसी निर्माण एजेंसी से उसके ही व्यय पर पुनः गुणवत्ता पूर्ण निर्माण कराया जाये। क्योंकि, यह मार्ग क्षतिग्रस्त तो है ही बल्कि जानलेवा दुर्घटनाओं का खुला आमंत्रण भी हो सकता है। तब ऐसी स्थिति में आम जनों से टोल टैक्स लिया जाना उचित नहीं है। अतः जब तक यह मार्ग पूरी तरह दुरुस्त नहीं होता तब तक टोल टैक्स की वसूली बंद की जाए। यदि जिला प्रशासन 15 दिनों के अंदर इस पर उचित कार्रवाई नहीं करता तो लोग “सड़क नहीं तो टोल नहीं” आंदोलन करने में करने पर विवश होंगे और इसके लिए स्थानीय प्रशासन जवाबदेह होगा।

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