एंबुलेंस को रोके जाने से मरीज की मौत: खवासा टोल प्लाज़ा पर टोलकर्मियों की गुंडागर्दी से समाज शर्मसार, विधायक ने भी साधी चुप्पी

Rashtrabaan

सिवनी, राष्ट्रबाण। सिवनी जिले के खवासा टोल प्लाज़ा पर एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ टोल कर्मचारियों द्वारा एक एंबुलेंस को रोकने और ड्राइवर से मारपीट करने के कारण समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मरीज की मौत हो गई। यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि टोल प्रबंधन की अमानवीयता और सिस्टम की चुप्पी पर भी गहरे सवाल खड़े करती है।

परिजनों का आरोप: “आधे घंटे की देरी ने ले ली जान”

मृतक के परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि टोल कर्मियों ने एंबुलेंस को जबरन रोका और ड्राइवर के साथ हाथापाई की। इस झगड़े में लगभग आधे घंटे की देरी हुई, जिससे मरीज को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। मृतक पूर्व में कलेक्टर कार्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत थे और अब उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बेसहारा हो चुका यह परिवार न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहा है।

कुरई थाने में FIR दर्ज, चार टोल कर्मचारियों पर शिकायत

परिजनों ने कुरई थाना में चार टोल कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे लोगों में आक्रोश है।

विधायक की चुप्पी बनी चर्चा का विषय

जब राष्ट्रबाण ने इस घटना पर बरघाट विधायक कमल मसकोले से प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। स्थानीय लोग बताते हैं कि विधायक कमल मसकोले हमेशा से ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहते हैं और क्षेत्र में उन्हें “नॉट रिचेबल विधायक” के रूप में देखा जाता है। जनप्रतिनिधि की यह उदासीनता भी आम जनता के बीच चर्चा और नाराजगी का विषय बन गई है।

टोल प्रबंधन की मनमानी और नियमों की धज्जियां

यह कोई पहली घटना नहीं है जब टोल प्लाज़ा पर इमरजेंसी सेवा वाहनों को रोके जाने से किसी की जान चली गई हो। नियमों के अनुसार, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहन जैसे इमरजेंसी वाहनों को टोल फ्री किया गया है और इन्हें किसी भी परिस्थिति में नहीं रोका जा सकता। फिर भी, खवासा टोल प्लाज़ा पर नियमों की लगातार अनदेखी हो रही है, जिससे आम जनता को असुविधा और कभी-कभी जीवन-मरण जैसे संकट झेलने पड़ रहे हैं।

प्रशासन की चुप्पी और सिस्टम की जवाबदेही पर उठे सवाल

इस घटना ने न सिर्फ टोल व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि शासन और प्रशासन की जवाबदेही पर भी। क्या ऐसे टोलकर्मियों पर कार्यवाही होगी? क्या टोल प्रबंधन को जवाबदेह ठहराया जाएगा? और क्या मृतक के परिवार को न्याय मिलेगा? खवासा टोल प्लाज़ा पर घटी यह घटना समाज को झकझोरने वाली है। जब मानवता, व्यवस्था और जवाबदेही तीनों ही असफल हो जाएँ, तो सबसे बड़ा नुकसान उस आम इंसान को होता है, जिसकी आवाज़ कहीं नहीं पहुंचती। अब ज़रूरत है कि इस प्रकरण में न केवल सख्त कार्रवाई हो, बल्कि प्रदेशभर में टोल नाकों पर इमरजेंसी नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन की ठोस व्यवस्था की जाए।

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