नई दिल्ली (New Delhi), राष्ट्रबाण। बांग्लादेश को बेचने के लिए तय बिजली को अब अडानी पावर (Adani Power) को भारत में बेचने को मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी नियमों में संशोधन कर दी गई है। अडानी पावर का कोयला आधारित बिजली संयंत्र (coal based power plant) अब घरेलू बाजार को आपूर्ति कर सकता है। इसको लेकर कांग्रेस (Congress) ने मोदी सरकार (Modi Government) पर हमला किया है।
देश की एकमात्र कंपनी
जयराम रमेश (Jayaram Ramesh) ने नियम में संशोधन कर अडानी पावर को दी गई मंजूरी वाले ज्ञापन की एक कॉपी को X करते हुए कहा है, ‘अडानी झारखंड (Jharkhand) में बिजली पैदा करने और बांग्लादेश (Bangladesh) को आपूर्ति करने के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) से कोयला आयात करता है। यह एकमात्र कंपनी है जिसे बिजली खरीद समझौते के माध्यम से ऐसा करने की अनुमति दी गई है और ये बहुत विवादास्पद रहा है। अब कंपनी को वह बिजली भारत में ही बेचने की अनुमति मिल गई है।’
कांग्रेस ने लगाए आरोप
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘अडानी को पहले कोयले के आयात पर मुनाफा मिल ही रहा था, अब भारत के लोगों को ये बिजली बेचने पर उन्हें और भी मुनाफा मिलेगा। मोदी है तो मुमकिन है!’ जयराम रमेश ने जो आंतरिक ज्ञापन की कॉपी को X किया है उसमें 12 अगस्त की तारीख़ दर्ज है। वह केंद्रीय बिजली मंत्रालय का आंतरिक ज्ञापन है। उसमें 2018 के उन दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है, जो विशेष रूप से पड़ोसी देश को बिजली आपूर्ति करने वाले जनरेटरों को नियंत्रित करते हैं।
भारतीय ग्रिड से जोड़ने की अनुमति संभव
वर्तमान में भारत में केवल एक संयंत्र- पूर्वी झारखंड (East Jharkhand) राज्य में अडानी पावर का 1,600 मेगावाट का गोड्डा संयंत्र- पड़ोसी देश को अपनी 100% बिजली निर्यात करने के लिए अनुबंधित है। ज्ञापन में कहा गया है कि भारत सरकार ऐसे उत्पादन स्टेशन को भारतीय ग्रिड से जोड़ने की अनुमति दे सकती है, ताकि पूर्ण या आंशिक क्षमता के निरंतर गैर-शेड्यूल किए जाने की स्थिति में भारत के भीतर बिजली की बिक्री की सुविधा मिल सके। ज्ञापन में कहा गया है कि भुगतान में देरी होने पर स्थानीय ग्रिड को बिजली की बिक्री की भी अनुमति दी जा सकती है।
हसीना के बाद उथल-पुथल
नियमों में संशोधन का यह कदम प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के बांग्लादेश (Bangladesh) से भाग जाने के लगभग एक सप्ताह बाद उठाया गया है। यह संशोधन भविष्य की परियोजनाओं पर लाभ लागू हो सकता है, जहां सभी उत्पादन निर्यात अनुबंधों में बंधे हैं। अडानी समूह के प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम ऊर्जा सुरक्षा सहित भारतीय हितों की रक्षा के लिए है।