नई दिल्ली (New Delhi), राष्ट्रबाण। भारत (India) ने अपने नए रॉकेट-लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान के साथ दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। अपनी तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान पर एसएसएलवी -डी3 ने लगभग 175.5 किलोग्राम वजनी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-08 (ईओएस-08) और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया। इस मिशन के बारे में बोलते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ (Chairman Dr. S. Somnath) ने कहा, एसएसएलवी की तीसरी विकास उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी प्रौद्योगिकी को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में हैं। सोमनाथ ने यह भी कहा कि उपग्रहों को नियोजित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है और कोई विचलन नहीं है। इसरो ने 16 अगस्त 2024 को सुबह 9:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से एसएसएलवी -डी3 रॉकेट की सफल लॉन्चिंग की। इस लॉन्च के माध्यम से इसरो ने ईओएस-08, एक नया पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, एक छोटा सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। ये सेटेलाइट आपदाओं के बारे में अलर्ट देगी। दोनों सैटेलाइट्स को धरती से 475 किमी की ऊंचाई पर एक गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया।
एसएसएलवी -डी3 की सफलता
एसएसएलवी -डी3 रॉकेट की यह तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान थी। एसएसएलवी की पहली और दूसरी उड़ानें 2022 और 2023 में की गई थीं। इस लॉन्च के सफल होने के बाद, एसएसएलवी को भविष्य में छोटे उपग्रहों के लिए एक विश्वसनीय और किफायती लॉन्च वाहन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ईओएस-08 का प्रक्षेपण
ईओएस-08 एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो धरती की निगरानी और डेटा संग्रह के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह उपग्रह भारत की अंतरिक्ष में निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अंतरिक्ष में नई ऊंचाई
दोनों सैटेलाइट्स को एक गोलाकार कक्षा में स्थापित करना इसरो की सटीकता और तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। यह लॉन्च भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
बाढ़ का पता लगाने की क्षमताएं
यह पेलोड बाढ़ जैसी घटनाओं का पता लगाने और निगरानी करने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमताओं का उपयोग करता है, जिससे बाढ़ प्रबंधन और पूर्वानुमान में मदद मिलती है।
आपदा निगरानी
इसकी विशेष क्षमताओं के कारण, यह पेलोड आग, ज्वालामुखी विस्फोट, और अन्य आपदाओं का पता लगाने में मदद करता है। इससे आपदा प्रबंधन एजेंसियों को तत्काल और सटीक जानकारी प्राप्त होती है, जिससे आपदा प्रतिक्रिया और राहत कार्यों को बेहतर तरीके से समन्वित किया जा सकता है।
मिड वेव और लॉन्ग वेव आईआर बैंड
यह पेलोड दिन और रात दोनों समय में इन्फ्रारेड (आईआर) बैंड का उपयोग करके तस्वीरें कैप्चर करने में सक्षम है। इन पेलोड्स की क्षमताएं न केवल आपदा की निगरानी में सहायक हैं बल्कि पर्यावरणीय परिवर्तनों और जलवायु परिस्थितियों की निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ईओएस-08 उपग्रह की यह तकनीकी विशेषताएँ भारत के पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम को एक नई दिशा देती हैं और आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, और संसाधन निगरानी में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।