Balaghat News : धान तस्करी का कारोबार, करोडो पार!

Rashtrabaan
Highlights
  • जिले में चल रहा करोडो की धान तस्करी का व्यापार
  • धान तस्करी के खले में मल्लू अग्रवाल कर रहा दलाली
  • समीर सचदेव से लेकर कई राईस मिलर इस खेल में शामिल

बालाघाट, राष्ट्रबाण। मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में बीते कई वर्षो से सरकारी धान तस्करी का खेल बदस्तूर जारी है। इस जिले की सीमा से महाराष्ट्र और छत्तिसगढ राज्य लगा होने के कारण यहां धान तस्करी जोरो पर होती है। जहां इस खेल में यहां के अनुबंधित राईस मिलर उच्च क्वालिटी की सरकारी धान उठाते है और उसे अन्य जिलो व राज्यो के बडे व्यापारियों के बेच देते है और उक्त धान के एवज में यूपी-बिहार का निम्न क्वालिटी की धान खरीदकर उसकी मिलिंग करके शासन को सुपूर्द कर देते है। जहां इस पूरे खेल में जिला प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।

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कुछ दिन पूर्व ही राष्ट्रबाण टीम के द्वारा रजेगांव एकिकृत जांच चौकी में धान से भरे ट्रको को पकडवाया गया था, जो स्थानीय समीर सचदेव नामक राईस मिलर्स के द्वारा उक्त धान की तस्करी की जा रही थी। लेकिन ट्रको की जप्ती के बाद अंदरूनी साठगाठ के चलते विपणन विभाग ने लीपापोती कर लगभग 30 घंटे बाद ट्रको को छोड दिया था और मामले को दबा दिया। जहां विभाग की मिली भगत के चलते जिले में करोडो की धान तस्करी का यह कारोबार बीते कई वर्षो से चला आ रहा है। हाल ही में एक बार पुन: कुछ जागरूक लोगो व मीडियाकर्मीयों की सुचना पर खैरलांजी क्षेत्र में गोंदिया जा रही एक ट्रक को पकडा गया है। जिस पर वैधानिक कार्यवाही किये जाने की बातें कही जा रही है। परंतु विभाग के द्वारा अब तक मामले में कोई स्पष्ठ जानकारी साझा नही की गई है।
सुत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में समीर सचदेव से लेकर कई राईस मिलर शासकीय धान तस्करी के इस गोरखधंधे में शामिल है और इन सबके लिये मल्लू अग्रवाल नामक व्यक्ति दलाली का कार्य करता है, जिसके पास कोई राईस मिल भी नही है। लेकिन वह पिछले कुछ सालो से जिले के मिलर्स के साथ साठगाठ करके धान तस्करी के खेल में उनकी मदद करते आ रहा है, जिसका अन्य राज्यो के बडे धान व्यापारियोें के साथ सीधा कनेक्शन है।

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कुछ यूं होती है तस्करी : धान तस्करी में पकड़ाए ट्रक।

हाल ही में 25 अप्रैल की बीती रात राष्ट्रबाण टीम की मदद से पुलिस टीम द्वारा खैरलांजी तहसील क्षेत्र में एक ट्रक को धान की तस्करी करते हुए पकडा गया। जहां पुलिस ने मौके पर आरओ की जांच की गई तो चालक के पास व ट्रक मालिक के पास कोई दस्तावेंज नही मिले। जिसके बाद पुलिस ने उक्त ट्रक को थाने में खडा करवा दिया गया और मामले की जानकारी तहसीलदार खैरलांजी, एसडीएम वारासिवनी और विपणन विभाग को दी गई है। जहां मामले में विपणन विभाग के द्वारा जांच किये जाने की बातें कही जा रही है। परंतु विभागीय अधिकारी कोई स्पष्ठ जवाब नही दे रहे है। लेकिन हैरत की बात यह है कि संबधित विभाग से ज्यादा आम लोग व मीडियाकर्मी जागरूक है, जो धान तस्करी के इस खेल को बंद करवाने के लिये जिला प्रशासन की मदद करने तैयार होते है। परंतु जिला प्रशासन व संबधित विभाग की भूमिका निष्पक्ष व न्याय संगत नजर नही आती। बल्कि विभागीय अमला भी अब राईस मिलर व धान तस्करो के साथ संलिप्त नजर आ रहा है।

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जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध

धान तस्करी के बढ़ते मामले में प्रशासन का अनमना रवैया समझ के परे है। एक तरफ बहार जिले के राईस मिलरों पर निष्पक्ष कार्यवाही की जा रही है तो वही बालाघाट जिले के राईस मिलरों पर चुटपुट कार्यवाही कर सिर्फ कागजी खानापूर्ति किया जा रहा है। नियमो को ताक में रख कर राईस मिलर प्रशासनिक नियमो को जुटे की नोंक में रौंद रहे है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है की जिम्मेदारों की तिजोरी में धान तस्करो द्वारा मोती रकम जमा की जा रही है। चांदी के जुटे मुंह में टिकने के बाद बड़े पदों पर बैठे जिम्मेदार भी धान तस्करो पर कार्यवाही करने में संकोच कर रहे है या यूं कहे की इनका कार्यवाही करने में इनकी सांसे फूल रही है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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जानकारी देने के बाद भी नहीं हो रही कार्यवाही?

धान तस्करो द्वारा रोजाना धान तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन में बैठे अधिकारी को नहीं यह संभव नहीं है। जानकारों की माने तो यह तस्करी का खेल प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों के संरक्षण में ही हो रहा है। अगर तस्करी की जानकारी प्रशासनिक अधिकारी को दी जा रही है तो देखते है, कार्यवाही करते है बोल कर जानकारी में कार्यवाही करने में अधिकारी द्वारा टालमटोल किया जाता है या फिर जानकारी देने वालो के फोन उठाना अधिकारी बंद कर देते है। इससे प्रतीत होता है की धान तस्करो को प्रशासन में बैठे जिम्मेदार का संरक्षण प्राप्त है। शायद यही वजह है की जानकारी के बाद जिला मूक जानवरो की तरह तमाशबीन बना हुआ है।

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