बालाघाट, राष्ट्रबाण। जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र लांजी के छोटे से गाँव से उभरकर निकले डॉक्टर परेश उपलप, आज बालाघाट जिले मे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का दायित्व संभाल रहे है। तंग परेशानियों का सामना करके व मुश्किलों से पढाई करके एक साधाराण परिवार का युवक आज बालाघाट का मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी बना है, जो बालाघाट व क्षेत्र के युवाओ के लिये प्रेरणाश्रोत भी है। लाँजी तहसील का कारंजा गांव एक छोटा सा गावं है। जहाँ एक समय में सुविधाओं की कमी थी। साधारण परिवार के लिये सरवाईव करना मुश्किल कार्य होता था। उनके पिता शंकरसाव ने, पुत्र परेश उपलव को कडी मेहनत करके पढाया- लिखाया और अपनी इच्छानुसार उन्हें काबिल भी बनाया। उन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम कारंजा में पूर्ण की तथा उसके बाद आगे की शिक्षा उन्होने बालाघाट से प्राप्त की। वही आगे लक्ष्य निर्धारित करके उन्होने एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त की।
डॉ परेश उपलप ने शासकीय चिकित्सा विभाग सेवा प्रारम्भ की, जहाँ प्रारंभ में चुनौतिपुर्ण कार्य क्षेत्र मे किये। उन्होने जिलें में जिला टीकाकरण अधिकारी का दायित्व बखूबी निभाया। कोराना काल जैसे विभत्स दौर में उन्होने बालाघाट में वेक्सिनेसन का कार्य पूरी निष्ठा के साथ किया और उत्कृष्ठ कार्य के लिये वे सम्मानित भी हुए। फलस्वरूप आज वे बालाघाट के युवाओ के लिये प्रेरणाश्रोत है। आज वे सीएमएचओ का दायित्व संभाल रहे है, जिससे उनके परिवार व गांव का नाम भी रोशन हुआ है। ग्राम कारंजा अब इस बात को लेकर भी पुरे जिले में अपनी पहचान बिखेरेगा कि यही से उभरकर निकले परेश उपलप, आज जिले मे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी की कमान संभाल रहे है।
इनके सीएमएचओ बनते ही अब क्षेत्र की आवाम भी यह सोच रही है कि डॉ परेश उपलप के रहते अब क्षेत्र में स्वास्थय सुविधायें बेहतर होगी और उनकी उम्मीदों को डॉ परेश उपलप नये पंख भी देगें। हर कोई चाहता है कि यदि गांव या क्षेत्र का बेटा अपने पैतृक जिले मे हीं किसी बडे पद पर काबिज हो जाये तो उस क्षेत्र का विकास व वहाँ की सुख-सुविधायें बेहतर होगी। यदि डॉ परेश उपलप इन्ही भावनाओं के साथ कार्य करते तो निश्चित ही तीव्र गति के साथ लांजी क्षेत्र में स्वास्थय सुविधाओं में बडा बदलाव देखने मिलेगा।