पाप-कर लगाने की तैयारी, निर्मला सीतारमण लगा सकती हैं नया टैक्स !

Rashtrabaan

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। इस बार बजट में नया कर आ सकता है। इसका नाम है ‘पाप का टैक्स’ यानी सिन टैक्स। यह एक प्रकार का पिगोवियन कर है, जिसे हानिकारक व्यावसायिक प्रथाओं द्वारा उत्पन्न नकारात्मक बाह्य प्रभावों को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पिगोवियन करों का उद्देश्य हानिकारक उत्पादों को खरीदना अधिक महंगा बनाकर उनके उपयोग को कम करना या समाप्त करना है, ताकि इसके उपभोग को हतोत्साहित किया जा सके और समाज और स्वास्थ्य पर उनके प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सके। इनमें आमतौर पर तंबाकू, शराब, नशीले पदार्थ, जुआ और चीनी की मात्रा अधिक वाले सामान शामिल होते हैं।

पाप कर के पीछे तर्क

हानिकारक माने जाने वाले उत्पादों की कीमत बढ़ाकर, सरकारें उनके उपयोग को कम करने का लक्ष्य रखती हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और इन वस्तुओं से जुड़ी सामाजिक लागत कम होती है। हालांकि यह सवाल अभी भी खुला है कि क्या और अधिक पाप कर लगाए जाएंगे। निर्णय ऊपर बताए गए कई कारकों पर निर्भर करेगा। जानकार मानेत हैं कि पाप करों से उत्पन्न राजस्व पर्याप्त हो सकता है। इन निधियों को अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं, व्यसन उपचार कार्यक्रमों और अन्य सामाजिक कल्याण पहलों के लिए आवंटित किया जाता है।

बढ़ सकता है पाप करों का दायरा

भारत में पाप का टैक्स पारंपरिक रूप से तम्बाकू उत्पादों, शराब और शर्करायुक्त तथा कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर लागू होते रहे हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य के विकास और अन्य हानिकारक उत्पादों के प्रभावों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, इस बात की अटकलें बढ़ रही हैं कि पाप करों का दायरा बढ़ सकता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य अनिवार्यताएं

शर्करायुक्त और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में बढ़ती चिंताओं के कारण मोटापे, मधुमेह और अन्य संबंधित चिंताओं से निपटने के लिए ऐसी वस्तुओं पर उच्च कर लगाया जा सकता है।

पर्यावरण संबंधी विचार

पर्यावरणीय स्थिरता के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, पर्यावरण क्षरण में योगदान देने वाले उत्पादों, जैसे एकल-उपयोग प्लास्टिक या अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों पर कर लगाने पर जोर दिया जा सकता है।

error: Content is protected !!