सिवनी, राष्ट्रबाण। कहा जाता है सरकारी विभाग के भ्रष्ट्राचार की बात करे तो पुलिस विभाग का नाम सबसे पहले आता है। यहां मामला बनाने से लेकर दबाने तक का पैसा वसूल किया जाता है। यही वजह है की आम आदमी शिकायत लेकर थाने नहीं जाना चाहता और दो नंबरी कारोबारी अपने मामले थाने तक नहीं पहुंचने देना चाहता।
ऐसी ही घटना बंडोल थाना में घटी जहां बंडोल पुलिस अपनी कार्यवाही पर अपनी पीठ थपथपाये या अपनी भ्रष्ट कार्यप्रणाली के लिए रोये या खुद नहीं समझ पा रही है। घटना मार्च माह 2024 की बताई जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 29-30 मार्च की दरम्यानी रात को बंडोल पुलिस ने बड़ी कार्यवाही करते हुए सफ़ेद रंग की हुंडई आई 10 वाहन क्रमांक एमपी 22 सीए 8271 में आठ पेटी शराब जिसकी अनुमानित कीमत 40 हजार के साथ आरोपी मोंटू बघेल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने निष्पक्ष कार्यवाही दिखाते हुए मोंटू बघेल को शराब के अवैध परिवहन करने के आरोप में धारा 34/2 के तहत कार्यवाही कर न्यायलय में पेश किया जहां से मोंटू को जेल पहुंचा दिया गया।
पुलिस की यह कार्यवाही कबीले तारीफ थी लेकिन इस कार्यवाही में पुलिस का एक स्वार्थ भी छुपा हुआ था जो पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया। पुलिस सूत्रानुसार मोंटू यह शराब ठेका से एक ढाबा के लिए ले जा रहा था जिसकी जानकारी पुलिस को दी गई लेकिन पुलिस ने संजू का नाम हटाने के लिए रूपये की डिमांड की, बस यही डिमांड बंडोल पुलिस के लिए गले की फ़ांस बन गई।
पुलिस विभाग के सूत्र बताते है संजू को पुलिसकर्मियों द्वारा फोन लगाया गया जिसमे पैसे की मांग की गई उसके पश्चात संजू ने डिमांड में तय हुई राशि को देने की बात कही। संजू डील के मुताबिक पैसे लेकर पहुंचा और पुलिसकर्मी को फोन लगाया लेकिन पुलिसकर्मी ने अपने आपको बाहर होना बताया और पैसे दूसरे पुलिसकर्मी को देने को कहा जिसके बाद उक्त पुलिसकर्मी ने पैसे गाड़ी की डिक्की में रखने को कहा। शातिर संजू ने डिक्की में पैसे कम रख दिए, जब पुलिसकर्मी ने थाने में पैसे गिने तो पैसे कम होने के चलते संजू से पुनः मोबाईल में संपर्क कर पैसे कम होने की बात कही जिसकी संजू ने रिकॉडिंग कर ली। पैसे मांगने के ऑडिओ और वीडियो के आधार पर संजू ने शिकारी पुलिस का ही शिकार कर लिया।
12 लाख से शुरू हुई डील 3 लाख में फ़ाइनल
पुलिस विभाग के विश्वस्त सूत्रों की माने तो बंडोल पुलिस के पैसे डिमांड मामले में संजू के द्वारा शुरुवाती रकम 12 लाख मांगी गई लेकिन समय गुजरता गया और डिमांड की रकम कम होती गई। लेकिन अंत में यह डील तीन लाख में फ़ाइनल कर तय हुई रकम को पुलिस द्वारा दे दी गई।
ठेकेदार भी पुलिस की पहुंच से बाहर !
शासन के नियम अनुसार शराब ठेके से ही ठेकेदार शराब की बिक्री कर सकता है लेकिन अपनी खपत बढ़ाने के लिए शराब ठेकेदार पैकारी के माध्यम से गांव-गांव तक शराब पहुंचाते है जिसमे ग्रामीण क्षेत्र के ढाबे, किराना दुकान, पान व् चाय की दुकानों के साथ कुछ घरो से शराब ठेकेदार के आशीर्वाद से बेख़ौफ़ बेचीं जाती है। ठीक इसी तरह 29-30 मार्च की दरम्यानी रात की पुलिस कार्यवाही में देखने को मिला। शराब ठेकेदार द्वारा और ढाबा संचालक को छुपाते हुए पुलिस ने सिर्फ मोंटू पर कार्यवाही कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया, यही वजह है की पुलिस कार्यवाही और कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है।