मलयालम फिल्म उद्योग से जुड़ीं महिलाओं की सुध, अदालत ने हालात संबंधी रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा

Rashtrabaan

नई दिल्ली (New Delhi), राष्ट्रबाण। मलयालम फिल्म उद्योग (Malayalam Film Industry) में महिलाकर्मियों (women workers) की समस्याओं पर प्रकाश डालने वाली जस्टिस हेमा (Justice Hema) समिति की रिपोर्ट को केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने एक सप्ताह के भीतर जारी करने का आदेश दिया है। मंगलवार (13 अगस्त) को इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने इस रिपोर्ट को जारी करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

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पिछले माह ही अंतरिम आदेश

रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले उच्च न्यायालय (High Court) ने 24 जुलाई को एक अंतरिम आदेश में फिल्म निर्माता साजी परायिल (Filmmaker Saji Parayil) की याचिका के बाद रिपोर्ट जारी करने पर रोक लगा दी थी। साजी परायिल ने राज्य सूचना आयोग के 6 जुलाई के उस निर्देश को अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें रिपोर्ट के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था।

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खुलासा करने से इनकार

मालूम हो कि सूचना आयोग का ये कदम तब सामने आया था, जब जस्टिस हेमा समिति को 2017 में नियुक्त करने वाले सांस्कृतिक मामलों के विभाग ने सूचना के अधिकार कानून के तहत इस रिपोर्ट का खुलासा करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस वीजी अरुण की पीठ ने इस रोक को हटाते हुए आदेश दिया कि इस रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर प्रकाशित किया जाए।

सरकार के पास पांच वर्षों से है रिपोर्ट

ज्ञात हो कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का मुद्दा केरल में विवादास्पद रहा है। यही वजह है कि सरकार ने पहले इस रिपोर्ट को जारी नहीं करने का फैसला किया था। सरकार के पास ये रिपोर्ट पिछले पांच वर्षों से है। सांस्कृतिक मामलों का विभाग आरटीआई अधिनियम के तहत भी इस रिपोर्ट की प्रति सौंपने को तैयार नहीं था।

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असुरक्षा के मुद्दे पर खास ध्यान

गौरतलब है कि जुलाई 2017 में सरकार ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की समस्याओं, उनकी सुरक्षा, वेतन और काम करने की स्थितियों और अन्य मुद्दों को देखने के लिए उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश के। हेमा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति की मांग तब उठी थी, जब फरवरी 2017 में कोच्चि में प्रमुख अभिनेत्री के साथ चलती गाड़ी में अपहरण और यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं की जांच के लिए एक समिति की मांग की गई थी। इस घटना ने उद्योग में महिला पेशेवरों की असुरक्षा को भी उजागर किया था।

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पेशेवर महिलाओं के बयान पर अमल

समिति ने फिल्म उद्योग से कई महिला पेशेवरों के बयान दर्ज किए और दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को 300 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने फिल्म उद्योग में महिलाओं की समस्याओं को देखने के लिए एक न्यायाधिकरण के गठन की सिफारिश भी की थी। हालांकि, रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया लेकिन सरकार ने जनवरी 2022 में इस रिपोर्ट का अध्ययन करने और इसकी सिफारिशों को लागू करने की योजना तैयार करने के लिए एक आयोग का गठन जरूर कर दिया।

मसौदा यह सब शामिल

इसके बाद, मई 2022 में सरकार ने जस्टिस हेमा समिति की सिफारिशों का एक मसौदा जारी किया, जिसमें फिल्म उद्योग में काम के अनुबंध को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया गया था। समिति की अन्य सिफारिशों में पुरुषों और महिलाओं के लिए समान वेतन, शूटिंग स्थानों पर ड्रग्स और शराब के उपयोग पर प्रतिबंध और कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित काम करने की स्थितियां शामिल थीं।

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