झूठा तमाशा, गरीबी के मुंह पर तमाचा ; निःशुल्क नेत्र जांच चश्मा वितरण शिविर झूठ का शिकार हुए मरीज

Rashtrabaan
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  • लालबर्रा में नेत्र जांच के बाद निःशुल्क चश्मा, आई ड्रॉप, दवा आदि प्रदान करने का प्रचार कर मरीजों को दिया धोखा

बालाघाट, राष्ट्रबाण। इन दिनों शहर में झूठे समाजसेवी घूम रहे है जो गरीबो की गरीबी का मजाक उड़ाते हुए उन्हें झूठा आश्वासन दे कर अपने शिविर तक लाने का प्रयास करते है। विभिन्न प्रकार के निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं लेकिन जब वास्तविकता सामने आती है तो पता चलता है कि आखिर में निःशुल्क शिविर का मतलब क्या है? हम ऐसे ही एक शिविर की बात कर रहे हैं जहां शिविर लगाकर ग्रामीण जनों धोखा का शिकार बनाया गया।

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तामेश्वर प्रसाद तिलाशी, कन्हैया पंचेश्वर, पीड़ित।

26 जुलाई शुक्रवार को डॉक्टर विवेक कारे के गायत्री क्लिनिक शांति नगर पाढरवानी गार्डन रोड़ लालबर्रा में सुबह 10:00 बजे से 1:00 बजे तक नेत्र जांच शिविर का आयोजित किया गया। जहां पर ग्रामीणों व नेत्र के मरीजों को निःशुल्क नेत्र जांच के बाद चश्मा,आई ड्रॉप, दवा वितरण करना था। क्योंकि उनका प्रचार प्रसार नेत्र जांच के बाद निःशुल्क जांच आई ड्रॉप, चश्मा, दवा आदि प्रदान करने हेतु था। किंतु यहां नेत्र जांच कराने आये मरीजों को ना तो दवाई दी गई, ना ही चश्मा दिया गया और ना ही आई ड्रॉप प्रदान किया गया। बल्कि एक छोटी सी चिट्ठी में दवाई का नाम लिखकर उन्हें खली हाथ भेज दिया गया। जहां 5- 10 और 15 किलोमीटर दूर से आए बुजुर्ग मरीजों ने अपने आप को ठगा सा महसूस किया।

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प्रतीत होता है की यह निःशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन मरीज को लाभ पहुंचाने नहीं अपितु बालाघाट के एक डॉक्टर के अस्पताल का प्रचार प्रसार करने हेतु लगाया गया था। वही अपने आपको ठगा महसूस करने वाले पीड़ित मरीजों ने उक्त संबंध में पूरी जानकारी दी, जहां उक्त शिविर में अमोली निवासी तामेश्वर प्रसाद तिलासी, ददिया निवासी कन्हैया पंचेश्वर व उनकी पत्नी पहुंचे थे जिन्हें नेत्र जांच के बाद कुछ नहीं दिया गया, सिर्फ पर्ची में दवाई लिखी गई और बाहर से खरीदने और बालाघाट पहुंचकर एक अस्पताल और डॉक्टर का नाम बताकर एवं उनका नाम नंबर पता वाला कार्ड देकर वापस कर दिया गया, जहां बुजुर्ग मरीज इस प्रकार के निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर को झूठा का पुलिंदा बताया है।

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लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह आयोजन समितियां इस प्रकार के निःशुल्क शिविर लगाकर सिर्फ तमाशा करते हुए अपने या अपने करीबियों के हॉस्पिटल का प्रचार प्रसार करते हैं। पीड़ितों ने प्रशासन से मांग है कि इस तरह के शिविर आयोजित करने वालो को जांच पड़ताल के बाद ही आयोजन की अनुमति दी जाये।

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