सिवनी, राष्ट्रबाण। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर पार्टी में बगावत और विरोध देखने को मिल रहा है। कार्यकर्ताओं द्वारा चयन प्रक्रिया में संगठन के जिलाध्यक्ष और निर्वाचन प्रभारी पर लेनदेन और मनमानी के आरोप लगाए जा रहे है। भाजपा ने इस बार मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर उम्र और पदाधिकारी की छवि, दोनों को ध्यान रखते हुए चयन की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाया था और इसके लिए सक्रिय सदस्य और बूथ अध्यक्ष को वोट करने का अधिकार दिया। लेकिन संगठन और निर्वाचन प्रभारी पर आरोप लग रहे है की संगठन के नियमो और मापदंडों का पालन नहीं करते हुए इनके द्वारा मनमानी करते हुए कार्यकर्ताओं का अपमान किया गया है।
बता दें की सिवनी भाजपा द्वारा नवनिर्वाचित्त मंडल अध्यक्षों में कुछ मंडलो के अध्यक्षों की नियुक्ति निरस्त कर दी। इनमे उत्तर सिवनी, बंडोल, बीजादेवरी, सुकतरा और कुरई मंडल शामिल है। सिवनी भाजपा का मानना है की इन मंडलो पर निर्वाचन प्रक्रिया में मापदंडो का पालन नहीं हुआ है, इस कारण से नियुक्ति निरस्त की गई। निर्वाचन प्राक्रिया के बाद से भाजपा में विरोध के स्वर तेज हो गए है और भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे और निर्वाचन प्रभारी राजेश मिश्र पर पैसे लेने और चयन प्रक्रिया पर मनमानी के आरोप लग रहे है।
ये आरोप बने चर्चा का विषय
मंडल अध्यक्ष चयन प्रक्रिया पर भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे और निर्वाचन प्रभारी राजेश मिश्र पर पैसे लेने और करीबियों को लाभ देने के आरोप है। साथ ही यह आरोप भी है की जिन लोगों ने विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोध में काम किया वह जिलाध्यक्ष के करीबी है और उन्हें लाभ देते हुए चयन प्रक्रिया को दरकिनार कर उनकी नियुक्ति की गई। मंडल अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक पर मोटी रकम लेने के आरोप राजनीतिक गलियों में चर्चा का विषय बना हु है।
सजा याफ्ता अनूप बघेल के मंडल अध्यक्ष बनने पर सवाल
भाजपा द्वारा संगठन की छवि सुधारने के लिए अपने नियमो पर बदलाव लाया गया और उम्र बंधन के साथ आपरधिक गतिविधियों में शमिल चेहरों को पदों से दूर रखने के लिए ऐसे कर्यकर्ताओं को दावेदारी और आपत्ति आने पर दूर रखने का निर्णय लिया गया। मतलब संगठन में वरिष्ठता और छवि दोनों पर ध्यान दिया गया। लेकिन सिवनी जिले के केवलारी मंडल पर अनूप बघेल की नियुक्ति पर संगठन के नियम कानून की पोल खोल दी। बता दें की अनूप बघेल सजा याफ्ता है, लखनादौन न्यायालय द्वारा उन्हें दोषी मानते हुए दो वर्ष की सजा सुनाई, इसके पश्चात भी अनूप बघेल ने निर्वाचन प्रक्रिया में हिस्सा लिया। बताया जाता है की अनूप बघेल की दावेदारी के दौरान ही कार्यकर्ताओं ने आपत्ति ली थी लेकिन इन आपत्तियों को नजर अंदाज कर अनूप बघेल की नियुक्ति की गई। पार्टी में सवाल उठ रहे है की मामला सार्वजानिक होने के बाद भी अनूप बघेल की नियुक्ति निरस्त नहीं होने से पार्टी की नियमावली और मंशा पर सवाल उठ रहे है कि आखिर जिलाध्यक्ष अलोक दुबे अनूप बघेल की नियुक्ति निरस्त क्यों नहीं कर रहे है।
उम्र का भी नहीं हुआ पालन
भाजपा ने मंडल अध्यक्ष के लिए उम्र निर्धारित किया है, यह उम्र 35 से 45 वर्ष है। लेकिन कुछ मंडलो पर उम्र सीमा का पालन नहीं किया गया है। राजनैतिक सूत्र बताते है की छः मंडलो पर ऐसे मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है जो इस मापदंड में सही नहीं बैठते। इसकी शिकायत पार्टी के आलाकमान से की गई है और इनकी नियुक्ति पर भी तलवार लटक रही है। इनकी नियुक्ति निरस्त करने का फैसला भविष्य में लिया जा सकता है।
विधायक बोले- कार्यकर्ताओ को मिले सम्मान, जिलाध्यक्ष ने कहा- आरोप निराधार
मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति और निरस्त होने पर भाजपा के जिलाध्यक्ष और विधायक दोनों आमने सामने है। सिवनी विधायक दिनेश राय ”मुनमुन” ने इस मामले पर कहा कि यह संगठन की प्रक्रिया है इसमें निष्पक्ष प्रक्रिया होना चाहिए। कार्यकर्ताओं के सम्मान क ध्यान रखते हुए उन्हें उनके काम और त्याग का परिणाम मिलना चाहिए, बागियों को पदों से सुशोभित नहीं करना चाहिए। वही भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे पर पैसे लेकर पदों पर मनमानी कर बगियों और करीबियों को लाभ देने के आरोप लग रहे है। अलोक दुबे ने इन आरोपों को निराधार बताया है।