बालाघाट, राष्ट्रबाण। कहते है राजनीती ज़ब किसी के सर चढ़ बोलने लगती है तो फिर व्यक्ति किसी की परवाह करें बगैर हर हाल मे किसी न किसी पद मे रहने की लालसा मे किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है फिर उसके लिए अपने ही पार्टी और संघठन के खिलाफ अंदरूनी षड्यन्त्र क्यों न करना पड़े, सत्ता हर हाल मे चाहिए होती है l वर्तमान मे यह कहावत रामकिशोर कावरे उर्फ़ नानू के लिए सिद्ध होती नजर आ रही है l
रामकिशोर कावरे आज जिले मे भले ही बडा नाम बन चूका हो पर कभी राजनीती मे यह हालत थी की इन्हे कोई तजब्बो नहीं देता था, तब पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने इनके सर पर हाथ रख कर राजनीती मे आगे बढ़ाया और जनपद सदस्य से विधायक तक बनने मे सहयोग किया लेकिन गौरी शंकर बिसेन को भी कभी यह अंदेशा नहीं रहा होगा की उन्होने जिसे शह देकर राजनीती मे आगे बढ़ाया वह एक समय बाद उन्ही की पीठ पर वार करेगा और उनकी ही राजनीती ख़तम करने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगा l
बालाघाट की जनता यह बात अच्छे से जानती है की 2018 मे विधानसभा चुनाव होने के बाद लगभग 18 महीनों की कांग्रेस सरकार गिर गयी और भाजपा वापस से सत्ता मे आयी तो रामकिशोर कावरे ने गौरीशंकर बिसेन को भरोसे मे लेकर धोखे से मंत्री पद हासिल किया था जो आज भी राजनीती की गलियारों मे चर्चा का विषय बना हुआ है l बालाघाट जिले की जनता इनके आचरण से पूरी तरह वाकिफ हो चुकी है की ये ज़ब ज़ब सत्ता मे आए है तब तब इनके गुंडे भाई राजकुमार उर्फ़ कुमार कावरे और उनके सहयोगी के माध्यम से जिले मे गुंडागर्दी, दहशतगर्दी और अन्य अनैतिक कामो को बढ़ावा मिला है, जिसकी वज़ह से रामकिशोर नानू कावरे पर उनके भाई और उनके सहयोगी की गुंडागर्दी के चलते पार्टी की छवि ख़राब करने के भी आरोप लग चुके है l पद मे रहते इन्होने हमेशा अपने शागिर्दो का समर्थन किया, फिर पार्टी मे दूसरा काबिल व्यक्ति क्यों न रहा हो उसे नजर अंदाज कर दिया गया l पार्टी के ही कुछ लोग जैसे पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अनिल धुँवारे, पूर्व जिलाध्यक्ष सत्यनारायण भुरू अग्रवाल, भाजपा कार्यकर्त्ता देवेंद्र उर्फ़ गोलू ठाकरे, पूर्व भाजयुमो जिला महामंत्री मनोज पारधी और भी अनेको लोग कावरे की राजनीति के षड्यन्त्र का शिकार हुए और उन्हें पार्टी के बैकफुट मे धकेल दिया गया, जो पार्टी के कार्यकर्ताओ के बीच मे आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है l चुनाव के समय पार्टी के कार्यकर्ताओ के जुबान मे यह जन चर्चा जोरो पर थी की स्वयं तो चुनाव हार ही रहे है परन्तु दूसरे नेताओं को भी चुनाव हराने के लिए षड्यंत्र कर रहे है l स्वयं के चुनाव हारने के अलावा पार्टी विरोधी गतिविधियों मे नाम सामने आया था l
लोक सभा चुनाव के वक़्त भी रामकिशोर कावरे पर भाजपा प्रत्याशी भारती पारधी के विरोध मे काम करने के आरोप लगे है, और तो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बालाघाट आगमन के समय भी पार्टी विरोधी काम करने पर प्रहलाद पटेल ने भाजपा कार्यालय मे रामकिशोर कावरे को फटकार लगाई थी जो उस वक्त पार्टी कार्यकर्त्ताओ के जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ था l जिले मे राम किशोर कावरे प्रहलाद पटेल, गौरीशंकर बिसेन, और भारती पारधी गुट के धुर विरोधी माने जाते है l
यह सब बाते जिले मे अब फिर से जनचर्चा का विषय बना हुआ है क्युकी रामकिशोर कावरे 1 वर्ष जिलाध्यक्ष रहने के बाद भी पुनः जिलाध्यक्ष बनने के लिए जोर लगा रहे है और यही बात जिले मे भाजपा और संगठन को नांगवार गुजर रही है l पार्टी में कार्यकर्ता दबी जुबान पर कहते है की विधायक भी इन्ही को बनना है, मंत्री भी इन्ही को बनना है, जिलाध्यक्ष भी इन्ही को बनना है l इन्हे हर हाल मे कोई न कोई पद चाहिए ताकि इनकी मोनोपल्ली चलती रहे और उनके और उनके भाई की दहशत जिले मे बरकार रहे l भाजपा कार्यकर्त्ताओ मे चर्चा जोरो पर है की 28 दिसंबर भाजपा कार्यालय मे रायसुमारी बैठक रखी गयी थी जिसमे मौसम बिसेन हरिनखेड़े, आंनद कोचर, और भगत नेताम के नाम बंद लिफाफे मे जाना तय माना जा रहा था परन्तु रामकिशोर कावरे ने फिर से अपनी प्रबल दावेदारी दिखाना शुरू कर दिया और फिर एक बार अंदरूनी तौर पर जुगाड़ जमाने का भरसक प्रयास करने मे जुटे हुए है जिससे फिर जिले के वरिष्ठ नेता कार्यकर्त्ता और संगठन पदाधिकारी रामकिशोर कावरे से नाराज चल रहे है l