MP News : बालाघाट-सिवनी हाईवे पर अवैध शराब कारोबार बेलगाम, प्रशासन की चुप्पी से माफिया के हौसले बुलंद

बालाघाट। जिले में अवैध शराब का धंधा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाईवे किनारे से लेकर ग्रामीण अंचलों तक खुलेआम शराब की बिक्री और खपत हो रही है। हालात यह हैं कि दुकानों, ढाबों और गांवों में नशे का अड्डा बन गया है। पुलिस व आबकारी विभाग की औपचारिक कार्यवाहियां तो कभी-कभार सामने आती हैं, मगर निरंतर कार्रवाई न होने से माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। इसका असर सामाजिक माहौल, कानून व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर गंभीर रूप से पड़ रहा है।

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बालाघाट, राष्ट्रबाण। लालबर्रा विकासखंड के अंतर्गत इन दिनों अवैध शराब बिक्री का काला कारोबार चरम पर है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में शराब माफिया सक्रिय हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति बालाघाट-सिवनी हाईवे की है। ग्राम कनकी से लेकर जिले की अंतिम सीमा पर स्थित कंजई तक सड़क किनारे की दुकानों और ढाबों में खुलेआम शराब बेची और परोसी जा रही है। इस अवैध गतिविधि से जहां अपराध और दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है, वहीं आम राहगीरों और परिवारों का सफर करना भी मुश्किल होता जा रहा है।

हाल ही में अनीस पेट्रोल पंप परिसर में खड़े एक ट्रक की बैटरी चोरी हो गई। आसपास के लोगों का मानना है कि घटना शराब पीने वालों द्वारा नशे की हालत में की गई। शराबियों के गाली-गलौज और लड़ाई-झगड़े से माहौल इतना बिगड़ चुका है कि आम लोगों का शांतिपूर्ण ढंग से गुजरना दुभर हो गया है। कुछ दिन पहले लालबर्रा पुलिस ने दो दुकानों पर छापा मारकर 34 (ए) आबकारी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और आरोपियों को न्यायालय में पेश किया। लेकिन इसके बाद कोई निरंतर कार्रवाई नहीं होने से अवैध कारोबारियों के हौसले और बढ़ गए हैं।

महुआ लहान की शराब से बिगड़ रहा माहौल

सिर्फ हाईवे ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अंचलों में भी अवैध शराब का उत्पादन और बिक्री जोर पकड़ चुका है। बोरी टोला, खैरगोंदी, साल्हे (ला), टेकाड़ी-कटंगटोला, पंढ़रापानी और बम्हनी जैसे गांवों में महुआ लहान से बनी शराब का धंधा बेरोक-टोक चल रहा है। शाम ढलते ही इन गांवों में शराबियों का जमावड़ा लग जाता है। गाली-गलौज और हंगामे से गांव का माहौल खराब हो रहा है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि विद्यार्थी वर्ग भी इस लत की चपेट में आता जा रहा है, जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ रहा है।

जानकारों के अनुसार, महुआ लहान से शराब बनाने के लिए प्लास्टिक के ड्रम और पॉलिथीन का इस्तेमाल किया जाता है। तालाब और नालों का दूषित पानी मिलाने से यह शराब बेहद हानिकारक साबित हो रही है। स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक होने के बावजूद लोग कम दाम में ज्यादा नशा करने के लालच में इसका सेवन कर रहे हैं।

प्रशासन पर उठ रहे सवाल

स्थानीय बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि चाहे देशी-विदेशी शराब हो या महुआ लहान से बनी अवैध शराब, इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। पुलिस और आबकारी विभाग की उदासीनता से शराब माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। यदि निरंतर और कड़ी कार्रवाई की जाए तो क्षेत्र में शांति और स्वच्छ वातावरण स्थापित हो सकता है। लोगों का मानना है कि प्रशासन अगर अब भी सचेत नहीं हुआ तो यह कारोबार न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी अंधकारमय बना देगा।

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