पटना, राष्ट्रबाण। जमीअत उलमा-ए-हिन्द द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जिन लोगों को लगता है कि भारत का संविधान केवल हिन्दुओं ने बनाया है, उन्हें देश के इतिहास की सही जानकारी नहीं है। उनका कहना था कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द का देश के साथ 145 साल पुराना इतिहास है, और कोई भी इसे नकार नहीं सकता। जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने हमेशा प्यार और मोहम्मद के लिए कुर्बानी दी है और देश में अमन-चैन के लिए काम किया है। हमारे बुजुर्गों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर इस देश को स्वतंत्र कराया और हमारे ही प्रयासों से देश का संविधान बना।
पीएम पर छोड़ा तीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वक्फ के बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि अगर मोदी जी वक्फ को नहीं मानते तो वह आगे चलकर नमाज और अन्य धार्मिक रीति-रिवाजों को भी नकार सकते हैं। जब प्रधानमंत्री ऐसी बातें करते हैं, तो यह देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा कर सकता है। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और अन्य नेताओं के बयान पर भी आलोचना की।
बुलडोज़र जस्टिस पर दो टूक
बुलडोज़र जस्टिस के मुद्दे पर भी मौलाना मदनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि कोई गलत करता है तो उसकी सजा केवल उसी तक सीमित रहनी चाहिए, न कि उसके पूरे परिवार को सजा देना उचित है।