जेलों में बंद महिला कैदी हो रहीं गर्भवती, पश्चिम बंगाल की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, मांगी रिपोर्ट

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  • 196 बच्चों ने ले लिया है अब तक जन्म, आखिर कैसे हो रहीं महिला कैदी प्रेग्नेंट

मुंबई, राष्ट्रबाण। पश्चिम बंगाल के विभिन्न जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। अदालत ने इस मामले पर एक रिपोर्ट भी मांगी है। रिपोर्ट के मुताबिक, कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार (8 फरवरी) को उस मामले को आपराधिक खंडपीठ को ट्रांसफर करने का आदेश दिया, जिसमें न्याय मित्र ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हो रही थीं और 196 छात्र बच्चों का जन्म भी हो चुका है, जिन्हें अलग-अलग केयर होम में रखा गया है.

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क्या है पूरा मामला?

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कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील वकील तापस कुमार भांजा, जिन्हें 2018 के स्वत: संज्ञान प्रस्ताव में अदालत द्वारा न्याय मित्र नियुक्त किया गया था, ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इन मुद्दों और सुझावों वाला एक नोट प्रस्तुत किया था. इसमें उन्होंने यह दावा किया था कि राज्य की कई जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. 196 बच्चे भी पैदा हुए हैं. इस पर तुरंत मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले को अपराधिक खंडपीठ में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।

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बंगाल के इन जेलों में हैं महिला कैदी

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सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के अलीपुर महिला जेल, बारुईपुर, हावड़ा, हुगली, उलुबेरिया जेल में महिला कैदियों को रखा गया है. इसके अलावा, केंद्रीय सुधार केंद्रों या दमदम, मेदिनीपुर, बहरामपुर, बर्दवान, बालुरघाट सहित कई जिला जेलों में भी महिला कैदी हैं. हालांकि इन जेलों में पुरुष कैदियों को भी अलग रखा गया है. किसी भी कारण से एक-दूसरे के निकट लाए जाने पर जेल प्रहरियों को हर समय मौजूद रहना होता है. फिर भी ये सवाल बना हुआ है कि यह कैसे हुआ?

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